Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 140
________________ दशाश्रुत० छेदसूत्र अन्तर्गत प्रत सूत्रांक/ गाथांक [५५] दीप अनुक्रम [३२१] कल्प० ॥ ६७ ॥ %%%% % % % % % “कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्) मूलं- सूत्र.[५५] / गाथा |||| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम् | आयावियस्स समियरस अभिक्खणं २ पडिलेहणासीलस्स पमजणासीलस्स तहा २ संजमे सुआराहए भवइ ॥ ५४ ॥ वासावासं पजोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ | उच्चार पासवणभूमीओ पडिलेहित्तए, न तहा हेमंतगिम्हासु जहा णं वासासु, से किमाहु | भंते! ? वासासु णं उस्सण्णं पाणा य तणा य बीया य पणंगा य हरियाणि य भवंति ॥५५॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ मत्तगाई गिण्हित्तए, तंजहा - उच्चारमत्तए, पासवणमत्तए, खेलमत्तए ॥ ५६ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पजोसवणाओ गोलोमप्पमाणमित्तेवि केसे तं रयणि उवायणावित्तए । अजेणं खुरमुंडेण वा लुक्कसिरएण वा होइयां सिया । पक्खिया आरोवणा, मासिए खुरमुंडे, अद्धमासिए कत्तरिमुंडे, छम्मासिए लोए, संवच्छरिए वा थेरकप्पे ॥ ५७ ॥ वासावासं पज्जोसविआणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं केश-लुञ्चन संबंधी मर्यादाया: वर्णनं ~ 139~ वारसो ॥ ६७ ॥

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