Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 139
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१२] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१२] ४ आहारित्तए, बहिया विहारभूमि वा वियारभूमिं वा सज्झायं वा करित्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए। अत्थि य इत्थ केइ अभिसमण्णागए अहासण्णिहिए एगेवा अणेगे वा, कप्पइ से एवं वइत्तए-'इमं ता अजो! तुम मुहुत्तगं जाणेहि जाव ताव अहं गाहावइकुलं जाव काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए' से य से पडिसुणिज्जा; एवं से कप्पइ गाहा-2 वइ० तं चेव । से य से नो पडिसुणिज्जा, एवं से नो कप्पइ गाहावइकुलं जाव काउस्सग्गं ४वा ठाणं वा ठाइत्तए॥५२॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अणभिग्गहियसिजासणियाणं हुत्तए, आयाणमेयं, अणभिग्गहियसिज्जासणियस्स। अणुच्चाकूइयस्स अणटाबंधियस्स अमियासणियस्स अणातावियस्स असमियस्स अभि-६ क्खणं २ अपडिलेहणासीलस्स अपमजणासीलस्स तहा तहा संजमे दुराराहए भवइ॥५३॥ अणादाणमेयं, अभिग्गहियसिज्जासणियस्स उच्चाकूइयस्स अट्ठाबंधिस्स मियासणियस्स दीप अनुक्रम [३२० ACCESCALCUSSI ~ 138~

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