Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 135
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[४५] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [४५] ॐॐॐ5555555 से किं तं बीअसुहुमे ? बीयसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले । अत्थि : बीअसुहुमे कण्णियासमाणवण्णए नामं पन्नत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियत्वे भवइ।से तं बीअसुहुमे ३॥ से किं तं हरियसुहुमे ? हरियसुडुमे पंचविहे | पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले। अस्थि हरिअसुहमे पुढवीसमाणवण्णए नामं पण्णत्ते, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २जाणियवे पासियत्वे पडिलेहियत्वे भवइ ।से तं हरियसुहुमे ४॥ से किंतं पुप्फसुहुमे ? पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे जाव सुकिल्ले। अत्थि पुप्फसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियत्वे जाव पडिलेहियत्वे भवइ । से तं पुप्फसुहमे ५॥ से किं तं । अंडसुहुमे ? अंडसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उइंसंडे, उक्कलियंडे, पिपीलिअंडे, * हलिअंडे, हल्लोहलिअंडे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियवे भवइ । से तं SACAMACHARCORNO दीप अनुक्रम [३०८] ~ 134 ~

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