Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 131
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३५] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [३५] दोवि पच्छाउत्ताई,एवं नो से कप्पंति दोवि पडिगाहित्तए,जे से तत्थ पुवागमणेणं पुवाउत्ते, है। से कप्पइ पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥३५॥ वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २बुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ । पुवगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवायणावित्तए, कप्पइ से पुवामेव वियडगं भुच्चा पडिग्गहगं ? संलिहिय २ संपमन्जिय २ एगाययं भंडगं कट्ट सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवायणावित्तए ॥३६॥ वासावासं पजोसवियस्स। निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविद्स्स निगिज्झिय २| बुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा उवागच्छित्तए । दीप अनुक्रम [३०० ~ 130 ~

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