Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[-] / गाथा.||८|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
मुनि दीपरत. मूल
*
प्रत
सूत्रांक/
845464%25442
******
गाथांक
||८||
कासवगुत्तं, धम्म सिवसाहगं पणिवयामि।सीहं कासवगुत्तं, धम्मंपिय कासवं वंदे॥८॥ तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्तचरित्तनाणसंपन्नं । थेरं च अज्जजंबु, गोयमगुत्तं नमसामि ॥९॥ मिउमद्दवसंपन्नं, उवउत्तं नाणदंसणचरित्ते। थेरं च नंदियंपिय. कासवगत्तं पणिवयामि ॥१०॥ तत्तो य थिरचरितं, उत्तमसम्मत्तसत्तसंजुतं । देसिगणिखमासमणं, माढरगुत्तं नमसामि ॥११॥ तत्तो अणुओगधरं, धीरं मइसागरं महासत्तं। थिरगुत्तखमासमणं, वच्छसगुत्तं पणिवयामि॥ १२॥ तत्तो य नाणदंसण-चरित्ततवसुट्रियं गुणमहंतं। थेरं कुमारधम्म, वंदामि गणिं गुणोवेयं ॥ १३ ॥सुत्तत्थरयणभरिए, खमदममद्दवगुणेहिं संपन्ने । देविड्डिखमासमणे, कासवगुत्ते पणिवयामि ॥ १४॥
(स्थविरावली संपूर्णा) ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे ।
दीप
**
अनुक्रम [२६२]
455
**
अत्र स्थवीरावली-वाचना परिसमाप्ता:
अथ "सामाचारी" नामक तृतीय वाचना आरभ्यते
~ 120~
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/c51b9965ca73cb881a425c6dbad7a846c90d5b739777e5af8e9e80daac9c393d.jpg)
Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145