Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
[११]
दीप
अनुक्रम
[२३३]
कल्प०
॥ ५९ ॥
5645%
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र [११] / गाथा ||-||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥ ११ ॥ एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्त ॥ १२ ॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सबओ समंता सक्कोसं जोयणं गंतुं पड़िनियत्त ॥ १३ ॥ वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुत्रं भवइ - दावे भंते! एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ | पड़िगाहित्त ॥ १४ ॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वृत्तपुत्रं भवइ - पड़िगाहेहि भंते ! एवं से कप्पइ पड़िगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्त ॥ १५ ॥ वासावासं० दावे भंते! पडिगाहे भंते ! एवं से कप्पइ दावित्तएवि पडिगाहित्तएवि ॥ १६ ॥ वासावासं पञ्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोगाणं बलिय सरीराणं इमाओ नव रसविगइओ अभिक्खणं २ आहारितए, तंजहा - खीरं
~123~
बारसो
।। ५९ ।।
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