Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ......... मूलं- सूत्र.[६२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [६२]
18अ सुद्धोदएहि अ, कल्लाणकरणपवरमजणविहीए मजिए, तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहि ||
कल्लाणगपवरमजणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइअलूहिअंगे अहयसुमहग्यदूसरयणसुसंवडे सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियहारहहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पिणडगेविज्जे अंगालज्जगललियकयाभरणे वरकडगतुडिअथंभिअभुए अहिअरूवसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइअवच्छे मुद्दिआपिंगलंगुलीए पालंबपलंबमाणसुकयप- है। डउत्तरिजे नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनिउणोचिअमिसिमिसिंतविरइअसुसि विसिटूलटुआविद्धवीरवलए, किंबहुणा ?कप्परुक्खए चेव अलंकिअविभूसिए नरिंदे,सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणे सेअवरचामराहिं उडुव्वमाणीहिं मंगलजयसद्दकया
१ नासानीसासवायवज्झचक्खुहरवण्णफरिसजुत्तहयलालापेलवाइरेगधवलकणगखचिअंतकम्मदूसरयणमुसंवुए (क० कि०) २ एगावलिपिणद्धे इत्यादि क० कि०
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