Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 84
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१५९] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत ॥३९॥ सूत्रांक/ गाथांक [१५९] चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पुष्वण्हकालसमयंसि धायइपायवस्स बारसो अहे छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरिआए वट्ट-: माणस्स अणते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, जाव है, जाणमाणे पासमाणे विहरइ॥ १५९॥पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अटू गणा अट्ठ गणहरा हुत्था, तंजहा-सुभे य १ अजघोसे य २, वसिढे ३ बंभयारि य४। सोमे । ५सिरिहरे ६ चेव, वीरभद्दे ७ जसेऽविय ८॥९॥१६०॥पासस्स णं अरहओ पुरिस्सादाणीयस्स अजदिण्णपामुक्खाओ सोलससमणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था ॥ १६१॥ पासस्स णं अ० पुप्फचूलापामुक्खाओ अट्टत्तीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिआ अज्जियासंपया हुत्था॥१६२॥ पासस्स० सुव्वयपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ चउसद्रिं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपया हुत्था दीप RECRACKS CPN444 अनुक्रम [१६१] ~83~

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