Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 101
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .... मूलं- सूत्र.[२१२] / गाथा.||-|| .. SAX**5* प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२१२] काए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा जाव. अप्पाणं भावेमाणस्स इकं वाससहस्सं विइक्वंतं.तओणं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे फग्गुणबहुले,तस्सणं फग्गुणबहुलस्स इक्कारसीपक्खेणं पुषण्हकालसमयंसि पुरिमतालस्स नयरस्स बहिआ सगडमुहंसि उज्जाणंसि नग्गोहवरपायवस्स अहे अट्टमेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झागंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते जाव० जाणमाणे पासेमाणे विहरइ ॥२१२॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीई गणा, चउरासीई गणहरा हुत्था॥ २१३ ॥ उसभस्स णं. उसभसेणपामुक्खाणं चउरासीइओ समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था॥२१४॥ उसभस्स णं. बंभिसुंदरिपामुक्खाणं अज्जियाणं तिणि सयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था॥२१५॥ उसभस्स ण सिजंसपामुक्खाणं समणोवासगाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ पंचसहस्सा उक्कोसिया दीप अनुक्रम [२०७] 35*345433 ~ 100~

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