Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[७] / गाथा.||१|| .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
त्ति इत्थ पढमं १, बीयं इसिदत्तिअं मुणेयत्वं २। तइयं च अभिजयंतं ३, तिण्णि कुला माणवगणस्स ॥१॥ थेरेहिंतो सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धेहिंतो कोडिय-काकंदएहिंतो वग्घा-// वच्चसगुत्तेहिंतो इत्थ णं कोडियगणे नामंगणे निग्गए, तस्सणं इमाओ चत्तारि साहाओ, चत्तारि कुलाई एवमाहिज्जंति । से किं तं साहाओ? साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-उच्चानागरि १ विजाहरी य २ वइरी य ३ मज्झिमिल्ला ४ य। कोडियगणस्स एया, हवंति। चत्तारि साहाओ॥१॥से तं साहाओ॥से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिजंति, तंजहा-12 पढमित्थ बंभलिजं १, बिइयं नामेण वत्थलिजंतु २। तइयं पुण वाणिजं ३, चउत्थयं । पहवाहणयं ४॥१॥थेराणं सुट्ठियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदयाणं वग्घावच्चसगुत्ताणं | इमे पंच थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अजइंददिन्ने १ थेरे।
CALCALCOCCASIA
||१||
दीप
अनुक्रम [२४५]
~ 114~
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