Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 98
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[२०६] / गाथा.||-|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....'कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् बारसो प्रत सूत्रांक/ गाथांक [२०६]] कल्प० सत्तमे पक्खे आसाढबहुले तस्स णं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं सवठ्ठसिद्धाओ ! ॥४६॥ महाविमाणाओ तित्तीसंसागरोवमट्टिइआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे | भारहेवासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवीए भारिआए पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि आहारवकंतीए जाव गब्भत्ताए वकंते ॥२०६॥ उसमेणं अरहा कोसलिए तिन्नाणोवगए आविहुत्था, तंचहा-चइस्सामित्ति जाणइ-जाव-सुमिणे पासइ, तंजहा-गयगाहा। सवं तहेव-नवरं पढमं उसभं मुहेणं अइंतं पासइ-सेसाओ गयं । नाभिकुलगरस्स साहई, सुविणपाढगा नत्थि, नाभिकुलगरो सयमेव वागरेइ ॥ २०७ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले है तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राई-| __ १ मरुदेवाए (क० कि०, क० सु०) २ साहेइ ( क० कि०, क० सु०) SCARRANGAX दीप अनुक्रम [२०२] ॥४६॥ ~ 97~

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