Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१८२] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [१८२]
पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, दुवासपरिआए अंतमकासी ॥ १८२॥ तेणं कालेणं तेणं हैं समएणं अरहा अरिदुनेमी तिण्णि वाससयाई कुमारवासमझे वसित्ता चउपन्नं राइंदियाई छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता देसूणाई सत्त वाससयाई केवलिपरिआयं पाउणित्ता । परिपुग्णाई सत्तवाससयाइं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता एगं वाससहस्सं सवाउअंपालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्णिीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्रमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स अदमीपक्खे णं उप्पिं उजिंतसेलसिहरंसि पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं । मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चिंत्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि नेसज्जिए कालगए (ग्रं.८००)जाव सवदुक्खप्पहीणे ॥ १८३॥ अरहओ णं अरि
१ दुवालस० (क० कि०, क० सु०) १-२ पडिपुण्णाई ३ चित्ताहिं नक्खचेणं (क० सु०)
दीप
अनुक्रम [१७७]
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ८०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 90~
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/70da4be87830be07d400b6cf5e97dcee1d5bc0775035c2410c6e6a3441a20180.jpg)
Page Navigation
1 ... 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145