Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 65
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[१११] / गाथा.||-|| ........ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [१११] RECORR णुगम्ममाणमग्गे संखियचक्कियनंगलिअमुहमंगलियवद्धमाणप्रसमाणघंटियगणेहिं, ताहिं इटाहिं कताहिं पियाहिं मणुन्नाहिंमणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मिअमहुरसस्सिरीआहिं वग्गूहिं अभिनंदमाणा अभियुवमाणा य एवं वयासी ॥१११॥"जय २ नंदा!, जय २ भद्दा!, भदं ते खत्तियवरवसहा! अभग्गेहिं नाणदंसणचरित्तेहिं, अजियाई जिणाहि इंदियाई, जिअंच पालेहि समणधम्मं, जियविग्घोवि य वसाहितं हादेव ! सिद्धिमज्झे, निहणाहि रागहोसमल्ले तवेणं धिइधणिअबद्दकच्छे, महाहि अट्रकम्म-21 सत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो हराहि आराहणपडागं च वीर! तेलुक्करंगमज्झे, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलवरनाणं, गच्छ य मुक्खं परं पयं जिणवरोवइट्रेणं मग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचर्मू, जय २ खत्तिअवरवसहा ! बहुई दिवसाइं बहूई पक्खाई बहूई मासाई बहूई उऊई बहूइं अयणाई बहूई संवच्छराई, अभीए परीसहोवसग्गाणं, दीप 25-25 अनुक्रम [११४] ECEREST ~64~

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