Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[११३] / गाथा.||-|| ...... मनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक [११३]
साए सवतुडियसहसन्निनाएणं महया इड्डीए महया जुइए महया बलेणं महया वाहणेणं । महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगप्पवाइएणसंखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिहडकवंदहिनिग्घोसनाइयरवेणं कुंडपुरं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव । नायसंडवणे उजाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ ॥.११३॥ उवागच्छित्ता | असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेवर आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोअं करेइ, करित्ता । छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय एगे है। अबीए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पवइए ॥ ११४ ॥ समणे भगवं महावीरे है। संवच्छरं साहियं मासं जाव चीवरधारी होत्या, तेण परं अचेलए पाणिपडिग्गहिए ॥ समणे भगवं महावीरे साइरेगाई दुवालस वासाइं निच्चं वोसटकाए चियत्तदेहे जे केइ
दीप
अनुक्रम [११६]
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