Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 15
________________ (११) बदलती है ॥ लक्खीसरायमें ॥ मधुपुरमें गिरेटीमें मंदिर एक है ॥ धर्मशाला है खंडेलवाल आवकोंके घर हैं ॥ गिरेटीसे सोला मील मधुवन है। वहां दिगंबरकी स्वेतांबरकी धर्मशाला है उनमें ठहरे ॥ इहांसे सूरज उगते स्नान करके पूजनकी सामग्री लेके चले सो सम्मेदशिखरके पर्वत ऊपरसे बीस तीर्थंकर आदि असंख्यात मुनि मुक्त नये हैं ॥ इन सर्वकी पूजा करके मधुवनमें आवे ॥ इहांके मंदिरों में पूजा करे ॥ इहांसे गिरेटी आवे ॥१॥ गिरेटीसे टीकट आरेका लेवे॥ उतरनेका ठिकाना अगरवाले श्रावक टुकटुक कुंवरके बगीचेमें तथा सुखानंदके बगीचेमें ठहरे ॥ मंदिर शिखरबंध पंदरा हैं ॥ चैत्यालय बारा हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके पिछत्तर घर हैं ॥ १ए ॥ आरेसे टिकट बनारसका लेवे बीचमें रेल मुगलकीसरायमें बदलती है सो इस रेलसे उतरके बनारस जानेवाली रेलमें बैठे॥ रेलसे नेलीपुरा तीन मील है ॥ वहां दिगंबर मंदिर दो हैं वहां धर्मशाला दो हैं उनमें ठहरे ॥ बनारसमें मंदिर पाँच हैं । चैत्यालय पाँच हैं ॥ इस बनारसमें सुपार्श्वनाथ स्वामीका तथा पार्श्वनाथ स्वामीका जन्म हुवा है । इस नगरीमें काशीनाथ छन्नूबाबु जौहरीओसवाल दिगंबरके चैत्यालयमें हीराकी प्रतिमा पार्श्वना

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