Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 28
________________ (२४) 1 मुडवारासे टिकट इलाहाबादका लेवे ॥ २० ॥ और जो किसीको बुंदेल खंडकी तरफकी यात्रा करनी होय तो पिरोजाबादसे लसकर सोनागिरि होके ललतपुरसे बुंदेल खंडके देशकी यात्रा करके इलाहाबाद आवे इहांसे शिखरजी के तरफकी सर्व यात्रा करे | और जो किसीको बुंदेलखंड देशकी यात्रा नहीं करनी होय तो पिरोजाबादसे टिकट इलाहाबादका लेवे | फिर शिखरजीके तरफकी यात्रा करे ॥ २१ ॥ ये जो ऊपर लिखि यात्रा शिखरजीके तरफकी सर्व तथा बुंदेल खंsh देशकी सर्व यात्रा करे तो इनमें तीन महीने लगते हैं । इनमें एक आदमीका खरच रेलगाडीका बैलगाडीका घोडागाडी इक्के आदिका किराया मै भोजनके खरच शुद्धां पचास रुपये लगते हैं । और पूजनकी सामग्रीका तथा मंदिरके भंडारमें देनेका वा दुखित भुखेको देनेका इन आदि धर्मकार्यके रुपये खरचके न्यारे लगते हैं ॥ २२ ॥ ये यात्राकी छोटी पुस्तक प्रथम भागकी सवाई जयपुरवाला दुलीचंद पाक्षिक श्रावकने पंजाव देशके नजीक सहारनपुर में बनाई नुकडवाले दयाचंद अगरवाले श्रावककी माता मनोहरी बाईके कहने से ' बाई विद्वान् धर्मात्मा दृढ प्रधानी खानपानकी क्रि-. या शुद्ध करनेवाली बडे घरकी बेटी तथा बहू है | ये पुस्तक जैन धर्मियोंकी यात्राकी है संवत १९४४ पौष शुदी g बुधवारके रोज तयारकी है ॥ २३ ॥ इति प्रथम भागः.

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