Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 48
________________ (२०) मंदिरमें दो मंदिर बड़े हैं ॥ एक चंद्रप्रभु स्वामीका ।। दूसरा पार्श्वनाथ स्वामीका इन दोनों मंदिरोंमें प्रतिमा जादा हैं ॥ चंद्रप्रभु स्वामीकी प्रतिमा पीतलकी कायोसर्ग ऊंची अंदाज साडेचार हाथ है ॥ इहां पार्श्वनाथ खामीके मंदिरमें और प्रतिमा रत्नोंकी सताइस न्यारी हैं उनके दर्शन पंचोंके हुकमसे कराते हैं । और धवल महा धवल जय धवल विजय धवल आदि सिद्धांत शास्त्र प्राकृत संस्कृत ताडके पत्र जपर लिखे चारों अनुयोगके हजारों हैं ॥ जैनी ब्राह्मणोंके तीस घर हैं ॥ पंचम भावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ ३३ ॥ मोडबद्रीसे कारकल नगर दश मील है ॥ ठहरनेका विकाना जैनके मउमें है। इस नगरमें मंदिर अगरे हैं ॥ इहां एक पर्वत छोटा है इसके ऊपर पत्थरका कोट बना है इसके नीतर पत्थरकी बड़ी बेदी बनी है । इसके ऊपर श्रीबाहुबली स्वामीका प्रतिबिंब कायोत्सर्ग बडा बिराजमान है ॥ इनके पांवका पंजा लेबा सवातीन हाथ है । इनकी प्रतिष्ठा संवत तेरासौ त्रेपनके शाल हुई है। इस देशके मंदिर आदिका जादा वर्णन खुलाशा विस्तारसे दूसरी बड़ी पुस्तक और है उनमें लिखा है ॥ कारकलसे दूसरा रस्ता जानेका और है हुमसकटासे हुमसपद्मावती होके ॥

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