Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 53
________________ (२५) हैं ॥ चैत्यालय दो हैं ॥ हुंबडश्रावकोंके तीन घर हैं। मेवाडा श्रावकोंके दो घर हैं। नरसिंगपुरा श्रावकोंके बारा घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके दो घर हैं ॥ ये सहर बहुत बड़ा है ॥ ४५ ॥ अमदावादसे टिकट पालनपुरका लेवे॥ रेलसे नजीक धर्मशाला है वहां पहरे ॥ इस नगरमें स्वेतंबरका पंचाईती मंदिर बड़ा है उनमें दिगंबर दो प्रतिमा पीतलकी पद्मासन ऊंची एक बिलसतकी है सो पूजारीको दो आनेके पैसे देके प्रक्षा.ल करके दर्शन करे ॥ इहांसे गाडीभाडे करे छ दिन का खानेका सामान पूजनकी सामग्री लेवे ॥ ४६ ॥ पालनपुरसे अट्ठाइस मील तारंगा सिद्ध क्षेत्र है रस्तेमें रेता बहुतसा आता है जिस्से दो दिन लगते हैं ॥ और रस्तेमें छोटा गांव आता है वहां खेतंबरके मकानमें एक प्रतिमा पीतलकी पद्मासन ऊंची पाँच उंगलकी दिगंबर है सो प्रक्षाल करके दर्शन करे ॥ इस तारंगा सिद्ध क्षेत्रमें दो पर्वत है इसके ऊपरसे वरदत्त वरांग सागर आदि साडेतीन करोडमुनि मुक्त नये हैं । इस पर्वतके नीचे मैदानमें मंदिर पाँच हैं । इहांसे पालनपुर आवे ॥ ७ ॥ और आबूके पर्वत अपर दिगंबर मंदिर हैं सो किसी जैनीनाईयोंको यात्रा दर्शन करना होयतो रस्तेमे है पालनपुरसे टिकट खे

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