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... ॥श्री॥
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जैनयात्रा
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इस पुस्तकमें दिगंबर मतवालोको
" सर्व यात्रा लिखी है यह थानाकी छोटी पुस्तक दुलहंद पाक्षिक श्वावक सवाई जयपुरवालेने पवाई है.
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.
यह पुस्तक "निर्णयसागर'' तरखानेमें छपा है.
शके १८१' . . . इस पुस्तकउपर रजिष्टिरी कराई है। इस्तै कि हमारी माजीविना ', कोइ न छापे अगर कोई उपार तो सरकार अंगरेज
बहादुरके कानून मा फल पावेगा.
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6 मोबान हास
॥श्री घाला." ॥ जैनयात्रादर्पण प्रथम भाग
comeय इस पुस्तकमें दो नाग हैं॥प्रथिमके नागमें सम्मेदशिखर आदि- के तरफकी सर्व यात्रा हैं। और बुं
देलखंडके तरफ़की सर्व यात्रा हैं । दूसरे नागमें बाहुबली जैनबदरी मोडबदरी आदिके तरफकी सर्व यात्रा हैं। तथा गिरनार मांगीतुंगी मुतागिरि आदिके तरफकी सर्व यात्रा
। इनके जानेके ठिकाने खुलासा लिखे हैं । इसको अबलसे आखिरतक सबको बांचके विचार करके फिर यात्रा करनेको जावे॥ ॥ ॥
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इस दोनों नागकी यात्रा सिवाय जो बाकी रही यात्रा · सिद्ध क्षेत्रोंकी वा भगवानके जन्मनगरी की यात्रा सो इस पुस्तकके दूसरे नागके पिछाडी के अंतके पत्र में लिखी हैं सो इनके ठिकाने मालुम नहीं हैं सो इसीको बांचके सबको सुनावे जो किसीको इनके ठिकाने मालुम होय तो सर्व देशमें लिख भेजें ॥
॥
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अथ जैनम्मियोंकी तीर्थयात्रा वर्णन करते हैं। पंजाब देशमें अंबालेकी छावनीसे लेकर कलकते हाथेके देशके तीर्थोंकी ॥ तथा बुंदेल खंडके देशके तीथोंकी यात्रा क्रमसे ॥ प्रथम सिद्ध क्षेत्रोंके नाम ॥ फिर इन क्षेत्रोंमें मुक्त नए मुनिजनोंकी संख्या ॥ फिर जगवानके जन्मनगरीके नामोंकी संख्या ॥ फिर अतिशय क्षेत्रोंके नामोंकी संख्या ॥ और इनके मार्गमें जो जो मंदिर तथा जो जो चैयालय आवेंगे उनकी संख्या जिस नगरमें सालकी साल मेला लगके बडा उच्छव होता है उसकी मीती लिखेंगे ॥ और जिस नगरमें वा जिस ग्राममें श्रावकोंके जितनी जातके घर आवेंगे उनकी अंदाज संख्या ॥ और रस्तेमें बड़े छोटे नगर आवेंगे उनके नाम ॥ जहां रेल बदलेगी उस नगरका वा ग्रामका नाम ॥ और जिस नगरका वा ग्रामका टिकट लेवेंगे उसका नाम ॥ रस्तेमें जो वस्तु खानेकी
आदि चाहिए सो जिस नगरमें जैनी श्रावक होवे उनकी मारफत लेवे तो सोधकी अच्छी मिलेगी। और गाडी घोडा'आदि नाडे करना होवे तो इनकी मारफत करे तो फायदा रहेगा ॥ और सर्व बातकी जुम्मे"दारी इनकी रहेगी। और जिस नगरमें बड़ी प्रतिमा होवेगी उसकी ऊंचाइ चौडाइकी जहांकी प्रमाणकी सं
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ख्या लिखेंगे सो' दुलीचंदके हाथकी जाननी ॥ इस यात्राके रस्तेमें जाडेके दिनोंमें ठंड जादा पडती है सो रूईके वस्त्र जो चाहिएँ सो साथ लेवे॥ ॥ अव सिद्ध क्षेत्रोंके नाम लिखते हैं ॥ सोनागिरि १ दोनागिरि २ नैनागिरि ३ पटना ४ पावापुरी ५ गुणावा ६ राजनही ७ चंपापुरी। सम्मेद शिखर ए ये नौ सिद्ध क्षेत्र हैं ॥ ॥अब नगवानकी जन्मनगरीके नाम लिखते हैं ॥ हस्तिनापुर १ सौरिपुर २ कौसांबी ३ बनारस, सिंहपुरी ५ चंद्रपुरी ६ कुंडलपुरी चंपापुरी. अयोध्या ए सावीस्तीपुरी १७ नौराई २१ कपिला १२ ॥ ॥ अब अतिशय क्षेत्रोंके नाम लिखते हैं ॥ मथुरा १ पिरोजाबाद २ ग्वालियरके किल्लेमें मंदिर प्राचीन हैं ३ चंदेरीकेपास थोवनजी ४ टीकमगढके नजीक पपोराजी ५ छत्तरपुरकेपास खजराय ६ दमोसे आगे कुंडलपुर ७ ॥ अतिशय क्षेत्र उसको कहते हैं जहां हमेंसा बारों महीने जात्रीलोग आते जाते हैं । ये सर्व यात्राके नाम ऊपर लिखे तिनके जानेका रस्ता लिखते हैं ॥ ॥ ___ अंबालेकी छावनी सदर बजारमें मंदिर दो हैं अगरवाले श्रावकोंके सौ घर हैं। इहांसे आठ दिनका खानेका सामान वा पूजनकी सामग्री लेवे ॥१॥
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(५) इहांसे टिकट सहारनपुरका लेवे ॥ रेलसे एक मील गुलालबाड अगरवाले श्रावकोंका है वहां ठहरे ॥ मेंदिर ग्यारा हैं । अगरवाले श्रावकोंके चारसौसे अधिक घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके तीन घर हैं । पल्लीवाल श्रावकोंका एक घर है ॥ २ ॥ सहारनपुरसे टिकट मेरउका लेवे ॥ इहां धर्मशाला नहीं है सो तलास करके ठहरे ॥ इहां मंदिर एक है ॥छावनी सदर बजारमें मंदिर दो हैं ॥ तोपखानेके बजारमें मंदिर एक है । असे मंदिर चार हैं । मेरउमें छावनी सदर वजारमें तोपखानेके वजारमें इन सर्व गैर अगरवाले श्रावकोंके दोसौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके पाँच घर हैं ॥ ३ ॥ इहांसे हस्तिनापुरकी यात्रा बीस मील है ॥ गाडीजाडे करके जावै । इस हस्तनापुरमें तीन तीर्थंकरोंका जन्म हुवा है ॥ शांतिनाथ स्वामीका ॥ कुंथनाथ स्वामीका ॥ अरहनाथ खामीका ॥ इहां एक मंदिर दिगंबरोंका बड़ा है ॥ इस हस्तनापुरसे डेढ मील बशंवा गांव है वहां एक मंदिर है । अगरवाले श्रावकोंके घर हैं। जो कोई जैनीन्नाइयोंकों कोई वस्तु चाहिये सो इहांसे ले आ
वे ॥ इहांसे मेरत आवे ॥ ४ ॥ मेंरवसे टिकट . दिल्लीका लेवे ॥ रेलसे दो मील जय सिंहपुरा है वहां
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खंडेलवाल तथा अगरवाले श्रावकोंकी धर्मशाला है इनमें ठहरे इहां आरामकी जगे है ॥ इहाँ मंदिर दो हैं ॥ दिल्ली सहरमें पहाडीमें जयसिंहपुरेमें इन आदि सर्व ठिकाने मंदिर बारा हैं । चैत्यालय ग्यारा हैं । अगरवाले श्रावकोंके अंदाज तेरासौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सतर घर हैं ॥ मारवाडी अगवाले श्रावकोंके दश घर हैं। दिल्ली सहर बहुत बडा है एक लाख कै हजार घर हैं ॥ ५ ॥ दिल्लीसे टिकट हाथरस मथुराका लेवे ॥ बीचमें मेंडूके इष्टेसन ऊपर रेल बदलती है सो इस रेलसे उतरके मथुरा जानेवाली रेलमें बैठे मेंडूसे हाथरस छ मील है ॥ एक इ. ष्टेसन है ॥ रेलसे पाव मील श्रावकोंका बडा मंदिर है उसके बराबर धर्मशाला है उनमें ठहरे ॥ इहां मंदिर · दो है इनमें एक मंदिर बहुत बड़ा है देखनेलायक है। मारवाडी अगरवाले श्रावकोंके साठ घर हैं ॥ खंडेलबाल श्रावकोंके चालीस घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके आठ घर हैं ॥ ६ ॥ हाथरससे टिकट मथुराका लेवे॥ रेलसे घियामंडी डेढ मील है वहां दिगंबरके मंदिरमें जाके तलास करके ठहरे ॥ मथुरा सहरमें मंदिर दो हैं । चैयालय तीन हैं ॥ चौरासीमें मंदिर एक बहुत बड़ा है । जमुनानदीके पहिले पार हंसगंज
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में मंदिर एक है ॥ जयसिंहपुरेमें मंदिर एक है । सर्व मंदिर पाँच हैं ॥ चैत्यालय तीन हैं ॥ आगे चैत्यालय सात थे ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सवासौ घरथे॥ अब मौजूद सात घर हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके पाँच धर हैं ॥ ७ ॥ मथुरासे टिकट आगरेका लेवे॥ चालीस मील है रेलसे एक मील बेलनगंज है। वहां दिगंबर मंदिर एक जमुना नदीके किनारे सडकके बराबर है ॥ इहां धर्मशाला है इनमें ठहरे ॥ मंदिर तेरा हैं। चैत्यालय नौ हैं ॥ सहरमें ॥ बेलनगंजमें ॥ छीपीटोलेमें ॥ नाइकी मंडीमें ॥राजाकी मंडीमें ॥ शिकंदरेमें ॥ नुनीहाईमें ॥ ताजगंजमें ॥ इन सर्व ठिकाने दर्शन करे ॥ अगरवाले श्रावकोंके तीनसौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके पौनेदोसौ घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके तीनसौ घर हैं ॥ पल्लीवाल श्रावकोंके पिच्छतर घर हैं ॥ लवेचूं श्रावकोंके घर है ॥ आगरा सहर बहुत बड़ा है ॥ ॥ आगरेसे टिकट पिरोजा बादका लेवे पच्चीस मील हैं । बीचमें रेल टोंडलेमें बदलती है सो इस रेलसे उतरके पिरोजाबाद जानेवाली रेलमें बैठे ॥ रेलसे एक मील चंद्रप्रनु खामीका मंदिर है वहां धर्मशालामें ठहरे ॥ मंदिर पाँच हैं। चैत्यालय तीन हैं ॥ इहां हीराकी प्रतिमा तथा
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स्फटिककी प्रतिमा हैं । इहां हमेसा सालकी साल चैतमें मेला होता है मीतीका पहिराव नहीं है बहुतसे आदमी इकडे होते हैं अगरवाले श्रावकोंके अंदाज सवासौ घर हैं ॥ पद्मावती पुरवार श्रावकोंके पचासं घर हैं ॥ पल्लीवाल श्रावकोंके सत्रा घर हैं ॥ लोइया श्रावकोंके सात घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके पाँच घर हैं।लवेचू श्रावकोंके आठ घर है ॥ खरौवा श्रावकोंके सात घर हैं ॥ ए ॥ इहांसे गाडी नाडे करे । तीन दिनका खानेका सामान लेवे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे॥ पिरोजाबादसे आहाईस मील बटेश्वर है ॥ इसीको सौरिपुर कहते हैं । ये नेमनाथ खामीकी जन्मनगरी है । इहां जमुना नदीके किनारे एक मंदिर दिगंबरका बहुत बडा है । बैष्णवके मंदिरोंके बीचमें है इहांकी यात्रा जरूर करे ॥ इहांसे पिरोजाबाद आवे ॥ १० ॥ पिरोजाबादसे टिकट रातके सातबजे इलाहाबादका लेवे सूरज उगते उतरै ॥ रेलसे एक मील चौंक है इसके नजीक पानके दरीबमें अगरवाले श्रावकोंकी धर्मशालामें ठहरै ॥ मंदिर तीन हैं । चैयालय सात हैं। अगरवाले श्रावकोंके नचे घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके पाँच घर हैं ॥ लवेचू श्रावकोंके दो घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके दो घर हैं ॥ पल्लीवाल श्रावकोंके दो घर
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हैं । यह सहर बहुत बड़ा है ॥ १९॥ इलाहाबादसे कौसांबीकी यात्रा बत्तीस मील है॥ गाडीनाडे करे ॥ छ दिनका खानेका सामान लेवे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ कौसांबीमें पद्मप्रभु स्वामीके चार कल्याणक हुये हैं। मंदिर एक है । इहां कोई देव है उसीको जिनंद्रकी नक्ति है सो केशरकी वर्षा करे है ॥ कौसांबीसे इलाहाबाद आवे ॥१२॥ इलाहाबादसे सामके पाँचबजे टिकट पटनेका लेवे सूरज उगते पहले उतरे ॥रे. लसे दो मील सुदर्शन सेवके बगीचेके सामने ॥ नेमनाथखामीके मंदिरके पास थोडे आदमी ठहरनेकी जगे है । इस पटनेमें सुदर्शन सेठ मोक्ष जये हैं ॥ मंदिर पाँच हैं । चैत्यालय एक है। जेसवाल श्रावकोंके दश घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके पाँच घर हैं । अगरवाले श्रावकोंका एक घर है यह सहर बहुत बड़ा है॥ १३॥ पटनेसे टिकट बक्त्यावरपुरका लेवे दो इष्टेसन हैं ॥ इ. हांसे गाडी नाडे ठेकेमें करे रोजिनदारीमें नहीं करे॥ पावापुरी ॥ राजग्रही ॥ गुणावा ॥ कुंडलपुर आदिकी यात्राके वास्ते भाडे करे ॥ १४ ॥ बक्त्यावरपुरसे बिहार अगरा मील है। मंदिर दो हैं। श्रावकोंके तीन घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री जादा लेवे ॥ खानेका सामान दश दिनका लेवे ॥ १५॥ बिहारसे पावापुरी
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बारा मील है इहां महावीर स्वामी मोक्ष भये हैं। पावापरीसे नबादा दश मील है इसका दूसरा नाम गंणावा है । इहांसे गौतमलामी मोक्ष नए हैं । इहांसे बारा मील राजग्रही है इहां पंच पहाडी ऊपरसे जंबू
खामी आदि मुनि मुक्ति नए हैं जंबूखामीके चरित्रमें लिखा है ॥ इहांसे कुंडलपुरी भाउ मील है महावीर खामीकी जन्मनगरी है ॥ इहांसे बिहार छ मील है ॥ इहांसे बक्त्यावरपुर आवे ॥ २६ ॥ बत्त्यावरपुरसे टिकट नागलपुरका लेवे. बीचमें मुकायेके इष्टेसन अपर इस रेलसे उतरके नागलपुर जानेवाली रेलमें बैठे ॥ रेलसे दो मील नाथनगर है वहांसे नजीक वासयूज स्वामीके दो मंदिर हैं ॥ वहां धर्मशालामें ठहरे ॥ इस चंपापुरीमें वासपूजखामीके पंचकल्याणक हुये हैं। इस नाथनगरमें अगरवाले श्रावकोंके पाँच घर हैं। इहांसे एक मील चंपानाला है वहां खेतांबरके दो मंदिर हैं इनमें एक मंदिरके ऊपरकी बाजूमें दिगंबर एक मंदिर है ॥ रेलके पास सूजागंजमें बजारके नजीक दिगंबर मंदिर एक है । अगरवाले मारवाडी श्रावकोंके बीस घर हैं खंडेलवाल श्रावकोंके दो घर हैं ॥ १७॥ नागलपुरसे रातके आ7 बजे टिकट गिरेटीका लेवे ॥ बीचमें दो ठिकाने रेल
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(११) बदलती है ॥ लक्खीसरायमें ॥ मधुपुरमें गिरेटीमें मंदिर एक है ॥ धर्मशाला है खंडेलवाल आवकोंके घर हैं ॥ गिरेटीसे सोला मील मधुवन है। वहां दिगंबरकी स्वेतांबरकी धर्मशाला है उनमें ठहरे ॥ इहांसे सूरज उगते स्नान करके पूजनकी सामग्री लेके चले सो सम्मेदशिखरके पर्वत ऊपरसे बीस तीर्थंकर आदि असंख्यात मुनि मुक्त नये हैं ॥ इन सर्वकी पूजा करके मधुवनमें आवे ॥ इहांके मंदिरों में पूजा करे ॥ इहांसे गिरेटी आवे ॥१॥ गिरेटीसे टीकट आरेका लेवे॥ उतरनेका ठिकाना अगरवाले श्रावक टुकटुक कुंवरके बगीचेमें तथा सुखानंदके बगीचेमें ठहरे ॥ मंदिर शिखरबंध पंदरा हैं ॥ चैत्यालय बारा हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके पिछत्तर घर हैं ॥ १ए ॥ आरेसे टिकट बनारसका लेवे बीचमें रेल मुगलकीसरायमें बदलती है सो इस रेलसे उतरके बनारस जानेवाली रेलमें बैठे॥ रेलसे नेलीपुरा तीन मील है ॥ वहां दिगंबर मंदिर दो हैं वहां धर्मशाला दो हैं उनमें ठहरे ॥ बनारसमें मंदिर पाँच हैं । चैत्यालय पाँच हैं ॥ इस बनारसमें सुपार्श्वनाथ स्वामीका तथा पार्श्वनाथ स्वामीका जन्म हुवा है । इस नगरीमें काशीनाथ छन्नूबाबु जौहरीओसवाल दिगंबरके चैत्यालयमें हीराकी प्रतिमा पार्श्वना
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(१२) थ स्वामीकी है ॥ ओसवाल दिगंबरका एक घर है। अगरवाले श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ लवेचू श्रावकोंके चार घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके पाँच घर हैं।' मारवाडी अगरवाले श्रावकोंके चार घर हैं ॥ अलीपुरामें जेसवाल श्रावकोंके दो घर हैं ॥ जेलीपुरासे पाव मील खजवायपुरा है वहां चैत्यालय एक है ॥ जेसवाल श्रावकोंके आठ घर हैं ॥ २० ॥ वनारससे पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान दो दिनका लेवे ॥ बनारससे पाँच मील सिंहपुरी है। वहां दिगंवरकी बड़ी धर्मशाला है उसमें ठहरे ॥ मंदिर एक बड़ा है। इस नगरी में श्रेयांसनाथ स्वामीके चारकल्याणक हुये हैं। इहांसे सात मील चंद्रपुरी है ॥ मंदिर एक है ॥ इहां चंद्रमन्नु स्वामीके चारकल्याणक हुये हैं । इहांसे बनारस आवे ॥ २१ ॥ बनारससे टिकट अयोध्याका लेवे ॥ रेलसे दो मील दिगंबरकी धर्मशाला है वहां - हरे ॥ मंदिर एक दिगंबरका है । इस अयोध्यामें पाँच तीर्थंकरोंका जन्म हुवा है ॥ ऋषन्न देवका १ अजितनाथका २ चौथे अभिनंदनका ३ पाँचवे सुमतनाथका ४, चौदवें अनंतनाथका ५ अयोध्यासे आठ मील साविस्ती नगरी तीसरे संनवनाथ खामीकी जन्म नगरी है। इस देशमें इस कालमें इस नगरीका नाम मेंढ- .
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(१३) गांव कहते हैं ॥ एक मंदिर है ॥ इहां उजाड है किसीका घर नहीं है ॥ अयोध्यासे तलास करके यात्रा करनेको जावे ॥ २२ ॥ अयोध्यासे टिकट नौराहीका लेवे दश मील है अथवा गाडीनाडे करके जावे ॥ यह पंदरवे धर्मनाथ स्वामीकी जन्मनगरी है ॥ इहां इनके चार कल्याणक हुवे हैं ॥ इहां नसीया है मंदिर तथा श्रावकोंका घर नहीं है ॥ २३ ॥ नौराहीसे टिकट लखनौका लेवे रेलसे अढाई मील गोलदरवाजेके पास चूडीवाली गलीमें डहले कुवेके नजीक शक्खबदास हरखचंद ओसवाल जौहरी दिगंबरकी कोठीमें दूसरा बड़ा मकान और है उनमें ठहरे ॥ इनका खास घरु मंदिर इनके मकानके बराबर है देखने लायक है इहांका सारा वर्णन दूसरी बड़ी पुस्तकमें विस्तारसे लिखा है। इस लखनौमें मंदिर तीन हैं चैत्यालय एक है ओसवाल दिगंबर श्रावकोंका एक घर है ॥ धनवान लायक है अगरवाले श्रावकोंके सौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सत्रा घर हैं आगे संवत उनिस्से चौदाके सालमें गदरमें छ मंदिर ॥ दो चैक्यालय खुद गये ॥ बहुतसे श्रावकोंके घरथे सो सब चले गये। आगे ये सहर बहुत बडाथा एकसौ बारा मीलके गिरदेमेंथा सो अंगरेजोने खोदके मैदान कर
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(१४) दिया इहा बहुतसी बस्तु देखनेकी हाल मोजूद है। ॥ २४ ॥ लखनौसे टिकट कानपुरका लेवे ॥ रेलसे दो मील पुराना जंडेलगंज नई सडकके वरावर है। इहां जैनीक दो मंदिर हैं वहाँ जाके तलास करके जहाँ उहरनेकी जगे होय तहां ठहरे ॥ दिगंबर मंदिर दो हैं । चैत्यालय एक चौकमें है ॥ओसवाल दिगंबर श्रावकोंके दो घर हैं । अगरवाले श्रावकोंके. पचास घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके दश घर हैं ॥ मारवाडी अगरवाले श्रावकोंके बीस घर हैं । लोइया अगरवाले श्रावकोंके बीस घर हैं ॥ लवेचू श्रावकोंके पाँच घर हैं । पल्लीवाल श्रावकोंके दो घर हैं । वुढले श्रावकोंका एक घर है ॥ जेसवाल श्रावकोंका एक घर है। गोलापुरव श्रावकोंका एक घर है। खरौवा श्रावकोंका एक घर है। यह सहर बहुत बड़ा है ॥ २५ ॥ कानपुरसे टिकट कायमगंजका लेवे एक रुपया साडे तीन आने लगते हैं । इहां मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके घर हैं। इहांसे गाडी चाडे करे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान दो दिनका लेवे॥ कायमगंजसे कंपिला छ मील है । इहां धर्मशालामें ठहरे ॥ मंदिर एक है। ये नगरी तेरखें विमलनाथ स्वामीकी है । इहां इनके चार कल्याणक हुये हैं ॥ गरज जनम तप केवल ॥ इ.
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(१५) हासे कायमगंज पावे ॥ २६ ॥ कायमगंजसे टिकट मेडूका लेवे ॥ २७ ॥ मेंडूसे टिकट दिल्लीका लेवे ॥ २४ ॥ दिल्लीसे टिकट अंबालेकी छावनी आदि अपने अपने देश नगर जानेका लेवे ॥ २ए ॥ ॥
अब इस यात्राके बीच दूसरी यात्रा बुंदेलखंडके तरफकी और है उसीके जानेका रस्ता लिखते हैं ।
पिरोजाबादसे टिकट लसकरका लेवे बीचमें टोंडले. के इष्टेसनपर इस रेलसे उतरके आगरे लसकर जानेवाली रेलमें बैठे ॥ लसकरकी रेनके इष्टेसनसे दाना
ओलीबजार दो मील है वहाँ चंपा बागमें खंडेलवाल श्रावकोंकी धर्मशाला है तथा दूसरी धर्मशाला तेरापंथी श्रावकोंकी है इन दोनों में ठहरे ॥ मंदिर पंदरा हैं। चैत्यालय पाँच हैं। खंडेलवाल श्रावकोंके अंदाज सातसौ घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके पैंसठ घर हैं ॥ खरोवा भावकोंके सात घर हैं । अगरवाले श्रावकोंके पैंतीस घर हैं ॥ बरैया श्रावकोंके पैंतीस घर हैं ॥ इहांके श्रावक खानपानको क्रिया देशकाल मुजब शुद्ध करते हैं ॥ ये सहर बहुत बड़ा है राजाका राज है ॥१॥ इहांसे ग्वालियर दो मील है । मंदिर तीन हैं । चैन्यालय पंदरा हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके सौ घर हैं । जेसवाल श्रावकोंके दश घर हैं ॥ लोइया.श्रावकोंके
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दश घर हैं । गोलालारे श्रावकोंके तीन घर हैं । इस ग्वालियरके बीच छोटा पर्वत रमनीक आठ मीलके गिरदावमें है इसके ऊपर किला है | इस पर्वतके श्रीतरसे कोरके बडेबडे मंदिर तथा प्रतिमा बडीबडी कायोत्सर्ग पद्मासन बनाई हैं | जैसेही पर्वतके बाहिरके बाजूमें चारों तरफ गुफा सारीसे मंदिर कोरके इनमें बडीबडी प्रतिमा कोरके बनाई है ॥ इहां जरूर जावे ॥ ग्वालियरसे मुरारकी छावनी दो मील है ॥ इहां मंदिर तथा श्रावक के घर हैं सो दर्शन करनेको जरूर जावे ॥ इहांसे. लसकर आवे ॥ २ ॥ लसकरसे सोनागिरि सिद्धक्षेत्रकी यात्रा अठारा मील है इहांका टिकट लेवे रेलसे डेढ मील सोनागिरि है ॥ इहां बडीबडी धर्मशाला है उनों में ठहरे | इस सोनागिरिके पर्वत ऊपरसे ॥ नंदकुमार ॥ अनंगकुमारको आदिले साडेपाँ च करोडमुनि मुक्त जये हैं | सोनागिरिमें मंदिर वह तर हैं ॥ चैत्यालय एक है ॥ २ ॥ इहां हमेशा सालकीसाल मेला मंगशिर शुदीइजसे लगाके मंगशिर मुदी पंचमी तक होता है ॥ इहा पूजनकी सामग्री खानेका सामान मिलता है ॥ ३ ॥ सोनागिरिसे फांसी चौवीस मील है ॥ इहां उतरनेका ठिकाना तलासकरके उतरे ॥ मंदिर दो हैं ॥ चैत्यालय दो हैं | सहस्रकूट
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. (१७) धातका एक है । इनमें चारों तरफमें आठ प्रतिमा कमती हैं ॥ परवार श्रावकोंके । गोलालारे श्रावकोंके पैंतीस घर हैं ॥ झांसीसे डेढ मील एक बाग पुराणा बहुत दिनका है इहां प्राचीन मंदिर एक है इनमें मतिमाका समूह है ॥ इहांके दर्शन जरूर करे ॥ काँसीसे एक मील छावनी सदर वजारमें मंदिर एक है। खंडेलवाल श्रावकोंके चार घर हैं ॥ गोलालारे श्रावकोके चार घर हैं ॥४॥ फांसीसे टिकट ललतपुरका लेवे छप्पन मील है। रेलसे पाव मील ऊपर दिगंबरी मंदिर एक वडा है । इहांसे डेढ मील सहरमें मंदिरके पास धर्मशाला है वहां ठहरे॥ मंदिर तीन हैं। चैत्यालय एक है ।। परवार श्रावकोंके दोसौ पैंसठ घर हैं ॥५॥ ललतपुरसे चंदेरीकी थोवनजीकी यात्रा करनेकों जावे॥ गाडी मजबूत होयसो साथ लेवे रस्तेमें पत्थर है। पूजनकी सामग्री जादा लेवे ॥ खानेका सामान आठ दिनका लेवे ॥ ललतपुरसे चंदेरी गाडीके रस्ते इक्कीस मील है ॥ ६॥ ललतपुरसे बुढारा छ मील है। मंदिर एक है। परवार श्रावकोंके ॥ गोलापुरव श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ इहांसे केलवाडा पाँच मील है ॥ मंदिर एक है। श्रावकोंके चार घर हैं । इहांसे बेदवंती नदी दो मील है वडी जारी है इसमें पत्थर बड़े बड़े बहुतसे हैं सो एक श्रादमी साथ मजबूत हुशियार लेवे इसीका हाथ पक
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(१८) डके उतरे ॥ बेदवंती नदीसे प्राणपुरा गांव सात मील है ॥ मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके पचास घर हैं। इहांसे चंदेरी गाडीके रस्ते दो मील है। मंदिर तीन हैं। इनमें एक मंदिरमें चौबीस मंदिर न्यारे न्यारे शिखरबंध ध्वजा कलससहित हैं। इनमें चौबीस प्रतिमा पद्मासन न्यारी न्यारी हैं। एक एक प्रतिमा पौने ती. न हाथ उंची पावटी शुद्धां है । जैसे शास्त्रमें चौबीस महाराजके रंग लिखे हैं वैसे न्यारे न्यारे रंग हैं। चंदेरीसे एक मील ऊपर पर्बत है उसमें खोदके बहुत बड़ी प्रतिभा कायोत्सर्ग बनाई हैं। उसके पांवका पंजा लंबा चार हाथ है । इस पर्बतमें औरजी प्रतिमा खोदके बनाई है ॥ चंदेरीसे पाव मील हाटकापुरा है। वहां मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके पंदरा घर हैं। तथा चंदेरीमें परवार श्रावकोंके पैंसठ घर हैं। खंडेलवाल श्रावकोंके बारा घर हैं ॥ गोलापुरव श्रावकोंका एक घर है ॥ इहांसे दो मील रामनगर है वहां मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके पाँच घर हैं ॥७॥ चंदेरीसे एक आदमी रस्तेका जाननेवाला साथ जरूर लेवे ॥ इहां जंगल है। इहांसे थोबनजीकी यात्रा गाडीके रस्ते ग्यारा मील है ॥ इहां मंदिर सोला हैं | इनमें प्रतिमा कायोत्सर्ग उंची बीस हायसे लगाके दो हाथकी उंची है ॥ इहां जंगल है एक मीलऊपर दो
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(२९) मीलऊपर गांव है ॥ इहांसे ललतपुर आवे ॥६॥ललतपुरसे पपोराजीकी यात्राकों जावे ॥ सडकके रस्ते चौंतीस मील है। गांवगांवमें खानेका सामान सोधका मिलता है । इहांसे गाडीनाडे करे॥ पूजनकी सामनी साथ रक्खे ॥ खानेका सामान तीन दिनका लेवे ॥ ए॥ ललतपुरसे गरसोरा तीन मील है। मंदिर एक है ।। परवार श्रावकोंके सोला घर हैं । इहांसे शीलावन मील नौ है चैयालय एक है ॥ परवार श्रावकोंका एक घर है ॥ इहांसे मारोनी मील सात है। मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके सौ घर हैं । इहांसे खिरिया मील तीन है मंदिर एक है ॥ परवार श्राव कोंके तीन घर हैं ॥ इहांसे प्रतापगंज छ मील है। चैत्यालय एक है ॥ परवार श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ इ. हांसे टीकमगढ तीन मील है। मंदिर दश हैं ॥ परवार श्रावकोंके अढाई सौ घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री जादा लेवे॥खानेका सामान पाँच दिनका लेवे॥ इहांसे पयोराजीकी यात्रा तीन मील है ॥ मंदिर सत्तर हैं इनके सामिल चौबीस महाराजका मंदिर है इनमें न्यारी न्यारी प्रतिमा न्यारे न्यारे शिखर कलस ध्वजा सहित है । इहां हमेसा सालकी साल मेला चैतबदी दुइजसे लगाके चैतबदी चौदस्तक होता है बहुत आदमी इकडे होते हैं॥१०॥ इहांसे दोनागिरि सिद्ध
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(२०) क्षेत्रकी यात्रा करनेको जावे चौंतीस मील है। इस गांवका नाम सेंदपा है पपोराजीसे पग तीन मील है । मंदिर तीन हैं ॥ गोलालारे विकोंके तीसं घर हैं। इहांसे एक भादमी रस्तेका जाननेवाला हुशियार साथ जरूर लेवे। खानेका सामान तीन दिनका लेवे ॥१२॥ पगसे समरारा चार मील है। मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे लार पाँच मील हैं ॥ मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके बारा घर हैं। इहांसे बुढेरा छ मील है। मंदिर दो हैं ॥ श्रावकोंके घर हैं। इहांसे नगवा मील बारा है ॥ मंदिर दो हैं ॥ परवार श्रावकोंके तथा गोलालारे श्रावकोंके छत्तीस घर हैं ॥ इहांसे सेंदपा चार मील है। ये दोनागिरि सिद्ध क्षेत्र है । इस दोनागिरि पर्वतजपरसे गुरुदत आदि मुनि मुक्तन्नए हैं । इहां मंदिर बाइस गुफा शुद्धां हैं ॥ ये पर्वत चढना उतरना पांवमीलसे कमती है । इस सेंदपा नगरमें मंदिर एक है ॥ गोलापुरव श्रावकोंके बारा घर हैं । इहां हमेसा सालकी साल मेला चैतबदी तीजसे लगाके चैत शुदी तीजतक होता है बहुतसे आ
दमी इकडे होते हैं ॥ १२॥ सेंदपासे मलारा चार मी'ल है। मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके सात घर हैं ॥ इहांसे खजरायकी यात्रा तरेसठ मील है। अतिशय क्षेत्र प्राचीन है किसी जाईको यात्रा करनेको जाना होय
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(२१) . तो रस्ता सडकका है ॥ १३ ॥ खजरायकी यात्राकारस्ता लिखते है ॥ मलारासे गुलगंज बारा मील है ॥ मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके तथा गोलापूरव
आवकोंके आव घर हैं ॥ इहांसे छतरपुर चौबीस मील है राजाका नगर है। मंदिर पाँच हैं। परवार श्रावकोंके पिछत्तर घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री खानेका सामान लेवे ॥ इहांसे राजनगर चौबीस मील है। मंदिर दो हैं ॥ परवार श्रावकोंके आठ घर हैं ॥ इहांसे खजराय तीन मील है ॥ इहां इक्कीस मंदिर शिखरबंध माचीन हैं ॥ करोड रुपये अपर लगे होयगें इनमें कोरनीका काम जादा किया है देखने लायक है । बडे मंदिरमें शांतिनाथ स्वामीकी प्रतिमा कायोत्सर्ग उं. ची पौनेदश हाथ है ॥ इहां हमेंसा सालकी साल फागुन बदी अष्टमीसे लगाके फागुन शुदी अष्टमीतक मेला होता है बहुतसे आदमी इकडे होते हैं इहांसे एक मील ऊपर बैषणवके सोला मंदिर करोडों रुपयोंकीलागतके हैं। खजरायसे तरेसठ मील मलारा आवे ॥ ॥ १४॥ इहांसे नैनागिरि सिद्ध क्षेत्रकी यात्रा चौवन मील है ॥ रस्ता सडकका है ॥ नैनागिरिको यात्राका रस्ता लिखते हैं । मलारासे सडवा चार मील है। मं. दिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके तथा गोलापुरव श्रावकोंके पाँच घर हैं ॥ इहांसे नौ मील हीरापुर है ॥
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(१२) मंदिर एक है | गोलापुरवके तथा परवार श्रावकोंके पैंसठ घर हैं ॥ इहांसे अमरमोह सात मील है ॥ मंदिर एक है | परवारके तथा गोलापुरव श्रावकोंके साव घर हैं ॥ इहांसे सायगढ दो मील है | मंदिर दो हैं गोलापुरव श्रावकों तथा परवार श्रावकोंके चालीस घर हैं । इहांसे दलपतपुर छबिस मील है | मंदिर तथा श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री जा. दा लेवे ॥ खानेका सामान आठ दिनका लेवे ॥ इहांसे एक आदमी रस्तेका जाननेवाला हुशियार साथ ज-रूर लेवे ऊाडी जंगलका रस्ता विकट है || दलपतपुरसे नैनागिरि सिद्ध क्षेत्र छ मील है ॥ वरदत्त आदि पाँच मुनि मुक्तजये हैं | मंदिर पंदरा हैं | इनमें एक मंदिर प्राचीन है बाकी सर्व नये बने हैं ॥ इहां पूजा करनेवालेका एक घर है | और जैनीका घर नहीं है
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इहाँ हमेसा सालकी साल कार्तिक में मेला होता है ॥ १५ ॥ नैनागिरिसे दमो तीस मील है | रस्तेमें मंदिर तथा श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे एक आदमी रस्तेका जाननेवाला जरूर लेवे ॥ जंगल काडीका रस्ता बिकट है | दमोमें मंदिर आठ हैं । परवार श्रावकोंके सौ घर हैं ॥ इहांसे कुंडलपुरकी यात्रा इक्कीस मील है ॥ १६ ॥ दमोसे सोला मील छोटा गांव है | वहां मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके तीन घर हैं ॥ इहांसे पवेरा तीन
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(२३) मील है ॥ मंदिर. चार हैं ॥ परवारोंके तथा गोलापुरव श्रावकोंके नौ घर हैं । इहांसे पूजनकी सामग्री जादा लेवे ॥ खानेका सामान छ दिनका लेवे ॥ पवेरासे कुंडलपुरकी यात्रा दो मील है ॥ धर्मशाला आदिमें वहरे ॥ इहां पर्वत पौन चंद्राकार है । इस ऊपर बड़ेबडे. मंदिर पचास हैं ॥ नीचे तलावके किनारे मंदिर बारा हैं ॥ सर्व मंदिर बासठ हैं ॥ सर्व मंदिर दो मीलके गिरदावमें हैं । पर्वत चढना उतरना प्राधा मील है। इस पर्वत अपर महाबीर स्वामीका मंदिर बड़ा है। इनमें महाबीर खामीकी प्रतिमा पद्मासन ऊंची पौने आठ हाथ है ॥ पांवकी पलोगी दोनों गोडेतक चौडी साढेसात हाथ है। सीढी लगाके प्रक्षाल करते हैं ॥ कुंडलपुरसे पठेरा भावे ॥ १७ ॥ और इलाहाबादसे रेल इस देशमें आनेवाली है सो उस बखत इहांसे इलाहाबाद जानेका जो रस्ता निकलेगा तब उस रस्तेसे इलाहाबाद जाना ॥ अब जो इस बखत इहांसे रस्ता जानेका मोजुद है सो लिखते हैं । पठेरासे गाडी नाडेकरे ॥ चार दिनका खानेका सामान लेवे ॥ एक आदमी रस्तेका जाननेवाला साथ जरूर लेवे ॥ पठेरासे मुडवाराका इष्टेसन चौवन मील है ॥ रस्तेमें मंदिर तथा श्रावकोंके घर हैं ॥ १७ ॥ मुडवारेमें मंदिर तीन हैं ॥ परवारबादि श्रावकोंके घर हैं ॥ १५ ॥
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मुडवारासे टिकट इलाहाबादका लेवे ॥ २० ॥ और जो किसीको बुंदेल खंडकी तरफकी यात्रा करनी होय तो पिरोजाबादसे लसकर सोनागिरि होके ललतपुरसे बुंदेल खंडके देशकी यात्रा करके इलाहाबाद आवे इहांसे शिखरजी के तरफकी सर्व यात्रा करे | और जो किसीको बुंदेलखंड देशकी यात्रा नहीं करनी होय तो पिरोजाबादसे टिकट इलाहाबादका लेवे | फिर शिखरजीके तरफकी यात्रा करे ॥ २१ ॥ ये जो ऊपर लिखि यात्रा शिखरजीके तरफकी सर्व तथा बुंदेल खंsh देशकी सर्व यात्रा करे तो इनमें तीन महीने लगते हैं । इनमें एक आदमीका खरच रेलगाडीका बैलगाडीका घोडागाडी इक्के आदिका किराया मै भोजनके खरच शुद्धां पचास रुपये लगते हैं । और पूजनकी सामग्रीका तथा मंदिरके भंडारमें देनेका वा दुखित भुखेको देनेका इन आदि धर्मकार्यके रुपये खरचके न्यारे लगते हैं ॥ २२ ॥ ये यात्राकी छोटी पुस्तक प्रथम भागकी सवाई जयपुरवाला दुलीचंद पाक्षिक श्रावकने पंजाव देशके नजीक सहारनपुर में बनाई नुकडवाले दयाचंद अगरवाले श्रावककी माता मनोहरी बाईके कहने से '
बाई विद्वान् धर्मात्मा दृढ प्रधानी खानपानकी क्रि-. या शुद्ध करनेवाली बडे घरकी बेटी तथा बहू है | ये पुस्तक जैन धर्मियोंकी यात्राकी है संवत १९४४ पौष शुदी g बुधवारके रोज तयारकी है ॥ २३ ॥ इति प्रथम भागः.
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. श्री॥ ॥ जैनयात्रादर्पण द्वितीयत्नाग॥
इस दूसरे नागमें बाहुबलीकी जैनबद्री मोडबद्री कारकलआदिके तरफकी सर्व यात्रा हैं ॥ तथा गिरनार मांगीतुंगी मुक्तागिरिआदिके तरफकी सर्व यात्रा हैं इनके जानेके निकाने खुलासा लिखे हैं इसीको अवलसे आखिरतक सबको बांचके बिचारकरके फिर यात्रा करनेको जावे.
इस दोनों नागकी यात्रा सिवाय जो बाकी रही यात्रा सिद्धक्षेत्रोंकी वा नगवानके जन्म नगरीकी यात्रा सो इस दूसरे नागके पुस्तकके पिछाडीके अंतके पत्रमें लिखी हैं सो इनके ठिकाने मालुम नहीं हैं सो इसीको बांचके सबको सुनावे जो किसीको इनके ठिकाने मालुम होय तो सर्व देशमें लिख भेजें.. .
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श्रथ जैनम्मियोंकी तीर्थयात्रा वर्णन करते हैं। दिल्ली आगरेसे दक्षण दिशाके तीर्थोकी कमसे प्रथम सिद्धक्षेत्रोंके नाम॥ फिर इन क्षेत्रों में मुक्त नए मुनिजनोंकी सं; ख्या ॥ फिर अतिशय क्षेत्रोंके नामः॥ और इनके मार्गमें जो जो मंदिर तथा जो जो चैत्यालय श्रावते है। उनकी संख्या॥और जिसनगरमें वा जिसग्राममें श्रावकोंके जितनी जातके घर आवेंगेउनकी अंदाज संख्या॥और रस्तेमें बड़े छोटे नगर आयेंगेउनके नाम। जहां रेल बदलेगी उस ग्रामका वा नगरका नाम ॥ और जिस नगरका वा नामका टिकट लेवेंगे उसका नाम ॥ रस्तेमें जो वस्तु खानेकी आदि चाहिए सो जिस नगरमें जैनी श्रावक होवे उनकीमारफत लेवे तो सोधकी अच्छी मिलेगी। और गाडी घोडा आदि जाडे करना होवे तो इनकी मारफत करे तो फायदा रहेगा॥और सर्व बातकी जुम्में दारी इनकी रहेगी। इस यात्राके रस्तेमें जाडेके दिनों में ठंड बहुत कमती पड़ती है सो आधसेर रूईकी एक रजाई लेवे ॥ कमरी एक रूईकी लेवे ॥ बिछानेको.जो चाहिए सो लेवे । और जिस नगरमें बडी प्रतिमा होवेगी उसकी ऊंचाइ चौडाईकी जहांकी प्रमाणकी संख्या लिखेंगेसो दुलीचंदके हाथकी जाननी । अब सिद्धक्षेत्रोंके नाम लिखते हैं। बडवानि १ सिद्धवरकूट २ मुक्तागिरि३ मांगीतुंगी,
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(३) गंजपंथ ५ कुंथलगिरि६पावागढ शत्रुजय गिरनार ए तारंगा १० ये दश सिद्धक्षेत्र नये ॥ अब अतिशय क्षेत्रोंके नाम लिखते हैं ॥ बनेडा १ भातकुली २ रामटेक ३ श्रवणबेलगुल ४ हलीबीड ५ एनूर ६ मोडबदरी ७ कारकल आबूगढ ए॥ अतिशय क्षेत्र उसको कहते हैं जहां हमेशा बारों महीने जात्री लोग आते जाते हैं। जो ये ऊपर लिखे सर्व यात्राके नाम तिनके जानेका रस्ता लिखते हैं। प्रथम दिल्ली से प्रारंन किया है। दिल्ली में मंदिर दिगंबरी बारा हैं । चैत्यालय ग्यारा हैं । अगरवाले श्रावकोंके अंदाज तेरासौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सतर घर हैं। मारवाडी अगरवालेश्रावकोंके दश घर हैं। दिल्ली सहर बहुत बड़ा है । एक लाखकै हजार घर हैं ॥ १ ॥ दिल्लीसे टिकट श्रलवरका लेवे ॥ रेलसे एक मील राजाकी धर्मशाला बड़ी है वहां ठहरें ॥ इहांसे आधे मील बडे बजारके नजीक मंदिर पाँच हैं। चैत्यालय तीन हैं। अगरवाले श्रावकोंके तीनसौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके एकसौ तेइस घर हैं ॥ सैलवाल श्रावकोंके सात घर हैं। ॥२॥ अलवरसे टिकट जयपुरका लेवे बीच में बांदीकुईमें रेल बदलती है इस रेलसे उतरके जयपुर जानेवाली रेलमें बैठे रेलकेपास दो मंदिर हैं ॥ वहां धर्म
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शाला वहरें ॥ इहांसे जयपुर सहर दो मील है साँगानेर दरवाजेके पास नथमलजीका कटडा बडा है वहां सर्व बातका आराम है इनमें ठहरे | और तेरा पंथीके बड़े मंदिरसे एक आदमी मालीको साथ लेवे ॥ प्रथम सहरके भीतरके मंदिर चैत्यालयके दर्शन करे १ फिर मोहन बाडी में करे २ घाटसें ३ खान्या में ४ जगांकी, चावडी के पास ५ हुकमजीवजके || नंदलालजीके ॥ संगहीजी के मंदिरके दर्शन करे ६ खोमें 3 कीर्त्तमके नसियाकेपास मंदिरके आमेरके ए जयपुर आते रस्तेमें दो मंदिरके १० सांगानेरके मंदिरके ११ रोडपुराके मंदिरके १२. रामबागके पासके मंदिरके: १३ चांदपोल दरवाजेकेपास लखमीचंद बोहराके मंदिरके १४ रेलके पासके मंदिरके १५ जैसे मंदिर चैत्यालय सर्व एकसौ अस्सी हैं | इन सर्वके दर्शन करे | खंडेलवाल श्रावकोंके चारहजार घर अंदाज हैं | अगरवाले श्रावकों अढाइसौ घर हैं | प्रोसवाल दिगंबरीके दो घर हैं आगे जादा | और आगे पचास वर्ष पहली जैनी श्रावक दिगंबरोंके सात हजार घर थे । इस नगर में हमे - शा उत्सवमेला रथयात्रा होती है | यह सहर बहुत बडा है ॥ इंद्रपुरीसमान साक्षात जैनपुरी है देखने लायक़ है इस शहर बराबर जैनमतका और शहर किस
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देशमें नहीं है । जिन्होने जयपुरके मंदिरके दर्शन नहीं कीये उनका जन्म वृथा है ॥ ३ ॥ जयपुरसे टिकट अजमेरका लेवे ॥ रेलसे श्राधे मील मूलचंद सेउका मंदिर डाकखानेकेपास है वहां ठहरें पारामकी जगे है। इस सहरमें मंदिर दश हैं । खंडेलवाल श्रावकोंके चारसौ घर हैं । खानेका सामान सोधका मूलचंद सेवके मकानसे लेवे ॥ ४ ॥ अजमेरसे टिकट रतलामका लेवे छपहरमें पहुंचती है। रेलसे डेढ मील चांदनीचौकमें जाके तलास करके धर्मशालामें ठहरें। मंदिर चार हैं ।। खंडेलवाल श्रावकोंके सवासौ घर हैं । हुंबड श्रावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ अगर वाले श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके तीन घर हैं ॥ ५ ॥ रतलामसे टिकट इंदौरका लेवे। रेलसे एक मील तात्याकी बावडीकेपास खंडेवाल श्रावकोंकी धर्मशाला है वहां ठहरें ॥ मंदिर आप हैं । और बेणीचंदजी हुंबडश्रावकोंके मकान ऊपर चैत्यालय एक है।इनमें तीन चौवीसीकी बहत्तर प्रतिमा स्फटिककी हैं।
और बड़े मंदिरोंमेंन्नी इन्हुने स्फटिककी बड़ी प्रतिमा बिराजमानकी हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके आपसौ घर हैं ॥ नरसिंगपुरा श्रावकोंके पचास घर हैं ॥ औरनी जातके श्रावकोंके घर हैं । इहांके श्रावक पक्के श्रद्धानी
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हैं । खान पानकी क्रिया देशकालमुजिब शुद्ध करते हैं। रसोइ जिमानेकी धर्मशाला मालवाके सारे देशमें न्यारी हैं । इंदौरसे दो मील बंशरी साहबकी छावनी है। वहां मंदिर एक है। खंडेलवाल श्रावकोंके तीस घर हैं ॥ इंदौरसे सोला मील बनेडानगर है। गाडी नाडे करके तीन दिनका खानेका सामान लेवे। पूजनकी सामग्री लेके जावे ॥वहां मंदिर एक बहुत बड़ा है। प्रतिमाके समूह बहोतसे हैं। यह मंदिर तथा प्रतिमा बहुत वर्षों की प्राचीन है । इहां सालकी सालमेला चैत शुदी एकादशीसे लगाके चैतसुदी पूर्णिमातक होता है। इहांसे इंदौर आवे ॥ इंदौरसे बडवानीकी यात्रा करनेको जावे॥ गाडीनाडे करे पाँच दिनका खानेका सामान लेवे ॥ ६ ॥ इंदौरसे बडवानी सिद्धक्षेत्र नके मील है। इनके जानेका रस्ता लिखते हैं। इंदौरसे मौकी छावनी चौदा मील है ॥ मंदिर तीन हैं ॥ खंडे लवाल, श्रावकोंके सौ घर हैं १ इहांसे पलास्याग्राम तीन मील है। मंदिर एक है खंडेलवाल श्रावकोंके आठ घर हैं १ इहांसे मानपुरग्राम बारा मील है। मंदिर एक है खंडेलवाल श्रावकोंका एक घर है १ इहांसे बारा मील गुजरीका पहाड है। वहां मंदिर : एक है खंडेलवाल श्रावकोंके तीन घर हैं १ इहांसे बारा मील
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खलघाट है १ इहासे छ मील धरमपुरी है ॥ मंदिर एक है। खंडेलवाल श्रावकोंके पचास घर हैं । इहांसे बारामील बांकानेरी है।मंदिर एक है। खंडेल वालनावकोंके पचास घर हैं १ इहांसे बारा मील अंजड ग्राम है। मंदिर एक है ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके बारा घर हैं १ इहांसे बडवानी बारामील है ॥ इहां दो धर्मशाला बडी हैं वहां ठहरें ॥ मंदिर एक है ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके चालीस घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री लेके चले चार मील ऊपर सोला मंदिर नये बने हैं। इनकी प्रतिष्ठा संवत १ए४० के माघ शुक्ल तृतीयाको हुई है ॥ इहांसे भागे एक मील चूलगिरिपर्वतके ऊपर एक मंदिर प्राचीन है इनमें प्रतिमाका समूह है। इस बडवानी नगरके दक्षण नागके चूलगिरिपर्वतके शिखर विषय इंद्रजीत और कुंजकरण ये दो मुनि मुक्ति गये हैं । इहांसे पूजाकरके बडवानी नगरमे आवे ॥ ७ ॥ बडवानी नगरसे चले सो जिस रस्तेसे आयेथे उस रस्ते. होके मौकी छावनी आवे ॥ ८ ॥ मौकी छावनीसे टिकट सनावदका लेवे ॥ मंदिर एक नया बना है।.पोरवार श्रावकोंके पचास घर हैं। खंडेलवाल
श्रावकोंके सात घर हैं । इहांसे छमील सिद्धवरकूट ' 'सिद्धक्षेत्र है.॥ सनावदसे गाडी जाडे करे ॥ तीन दि
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नका खानेका समान लेवे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे। इहांसे बैष्णवका तीरथ ओंकार छमील है वहां जावे। इस. नगरमें सारा सामान रखे ॥ इहांसे पूजनकी सा. मग्नी लेवे ॥ श्राव आनेके पेसे लेवे ॥ धोती दुपट्टे लेवे नरमदा नदी बड़ी है नावमें बैठके उत्तरे फिर ओंकारके मंदिरके आगेहोके जावे इहांसे आधे मील ऊपर कावेरी नदी है सो उतरके स्नानकरके पूजनकी सामग्री धोके सामने पंथ्याग्रामसे एक आदमी साथ लेवे इहांसे पाव मील सिद्ध वरकूट है इहांसे साडेतीन करोडमुनि ॥ दोचक्रवर्ति दशकामदेव मोक्ष नये हैं ॥ इहां नया मंदिर तथा धर्मशाला बनती है ॥ इहांसे सनावद श्रावे ॥ ए ॥ सनावदसे टिकट दिनके बारावजे पीछे
उमरावतीका लेवे सो दिन उगते उतरे परंतु बीचमें । तीन ठिकाने रेल बदलती है। खंडवामें॥नुसावलमें। उमरावतीसे तीन कोश. इस तरफ इष्टेसन बनेरेका है। इस रेलसे उतरके उमरावती जानेवाली रेलमें बैठे ॥ रेलके सामने धर्मशाला है उनमें ठहरें ॥ मंदिर पाँच हैं ॥ परवार श्रावकोंके पच्चीस घर हैं। सैतवालश्रावकोंके घर हैं ॥ लाडनावकोंके घर हैं। बघेरवाल श्रावकोंके घर हैं । नेवाभावकोंके घर हैं। गंगेरवाल श्रावकोंके घर हैं॥धक्कड भावकोंके घर हैं। काम
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नोज भावकोंके घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके घर हैं। इन सर्वजातके श्रावकोंके अंदाज चारसौ घर हैं ॥१०॥ इहांसे गाडीनाडे करे॥ पूजनकी सामग्री जादा लेवे ॥ खानेका सामान दशदिनका लेवे। उमरावतीसे तीस भील मुक्तागिरि सिद्धक्षेत्र है ॥ रस्तेमें छोटे गांवोंमें श्रावकोंके घरों में प्रतिमा हैं ॥और रस्ते में बीस मील अपर प्रतवाडकी छावनी में मंदिर एक है। खंडेलवाल श्रावक आदि जातके घर हैं । इहांसे आगे दश भील मुक्तागिरि सिद्ध क्षेत्र है। वहां पर्वतके नजीक धर्मशाला है उनमें ठहरे ॥ इस मुतागिरि पर्वत जपरसे साडेतीन करोड मुनि मुक्ति गये हैं। मंदिर बडे छोटे सर्व पच्चीस हैं ॥ इहां देव हैं उसीको जिनेंद्रकी जक्ति है सो केशरकी बर्षा करते है॥ ११ ॥ मुक्तागिरिसे येलजपुर आवे ॥ इहां मंदिर चैत्यालय हैं। इहां के जातके श्रावकोंके घर हैं । इहां हीरालालजी बघेरवाल श्रावकके मकान ऊपर चैत्याला है उसीमें प्रतिमाका समूह है। इनमें एक प्रतिमा मंगेकी कायोसर्ग ऊंची पाँच उंगलकी है ॥ १२ ॥ येलजपुरसे भातकुली आवे ये अतिशय क्षेत्र है। मंदिर पाँच हैं। इहांसे उमरावती आवे ॥ १३ ॥ उमरावतीसे टिकट नागपुरका लेवे रेलसे डेढ मील पंचायती मंदिर
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( १० ) raatar है वहां धर्मशाला आदिमें ठहरे ॥ मंदिर तेरा हैं | परवार श्रावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ खंडेल - वाल श्रावकों के घर हैं ॥ पुरवार श्रावकोंके ॥ लाड श्रावकोंके ॥ धक्कड श्रावकोंके घर हैं इन आदि के जातके श्रावकों के घर हैं | ये सहर बहुत बडा है ॥ १४ ॥ नागपुर से टिकट कामवीकी छावनीका लेवे नौ मील है | मंदिर पाँच हैं | परवार श्रावकोंके तीस घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकों के तीस घर हैं । इहांसे रामटेककी यात्रा करनेको जावे ॥ गाडीमाडे करे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान पाँच दिनका लेवे ॥ १५ ॥ कामठी की छावनी से पंदरा मील रामटेक नगर है | यह अतिशय क्षेत्र है बारों महीने यात्रा करनेकों आते हैं ॥ इहां मंदिर बडे छोटे आत हैं | इनमें शांतिनाथ स्वामीका मंदिर बहुत बडा है ॥ इनमें शांतिनाथ स्वामीकी प्रतिमा तीन कायोत्सर्ग हैं इनमें बिचली प्रतिमा बहुत बड़ी है सो सीढी लगाके प्रक्षाल करते हैं ॥ इहांसे कामठीकी छावनी आवे ॥ १६ ॥ . कामवीकी छावनी से टिकट नांदगांवका दिनके बारा बजे पीछे लेवे रेलसे गांवमें जाके धर्मशाला में ठहरे ॥ मंदिर एक है | खंडेलवाल श्रावकोंके साठ घर अंदाज हैं | इनकी मारफत गाडीमाडे ठेके में करे | रोजिन
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दारी में नही करे ॥ मांगीतुंगी गजपंथ के वास्ते ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान बारा दिनका लेवे ॥ रस्ता सडकका है ॥ १७ ॥ नांदगांव से मांगीतुंगी साठ मील है | रस्तेमें मालेगांव नगर बडा आता है | मंदिर चैत्यालय हैं ॥ श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे एक मील छावनी है वहां सदर बजारमें मंदिर एक है ॥ श्रावकों घर हैं ॥ ॥ इहांसे आगे सटाना गांव है | मंदिर एक है | खंडेलवाल श्रावकों के चार घर हैं ॥ इहांसे आगे मांगीतुंगी अठारा मील है ॥ इहां मंदिर दो हैं | और पर्वत ऊपर मंदिर दो
॥
॥ चंद्रप्रभु स्वामीका ॥ पार्श्वनाथ स्वामीका || और प्रतिमा भी न्यारी हैं | इस पर्वत ऊपरसे ॥ रामचंद्र ॥ हनुमान ॥ सुग्रीव ॥ गवय ॥ गवाख्य ॥ नील ॥ महानील || आदि निन्नानवेंकरोड मुनि मुक्ति गये हैं ॥ इस पर्वतसे उतरके सुधबुद्धके तरफ आवे इहां मंदिर गुफामें दो हैं | मांगीतुंगीसे गजपंथ सिद्धक्षेत्रकी या - arat जावे पिच्यासी मील है | रस्ता सडकका है ॥ रस्तेमें मंदिर नहीं हैं ॥ नाशकसे बीस मील इस तरफ पीपला गांव में स्वेतंबरके मंदिरमें दिगंबर एक प्रतिमा है | खंडेलवाल श्रावकका एक घर है ॥ १७ ॥ मांगीतुंगीसे नाशक अस्सी मील है | नाशकमें गंगा नदीके
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( १२ ) किनारे पंचवटी में धर्मशालामें ठहरे | गांवमें मंदिर एक है || खंडेलवाल श्रावकों के पंदरा घर हैं ॥ इहांसे छ दिनका खानेका सामान लेवे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ १९ ॥ नाशकसे चार मील सिरोई छोटा गाव है || खंडेलवाल श्रावकका एक घर है | वहां धर्मशाला में ठहरे ॥ मंदिर एक है ॥ इहांसे स्नानकरके पूजनकी सामग्री धोके चले सो एक मील श्रीगजपंथका पर्वत है | इस ऊपरसे सात बलभद्र || जादोनरेंद्र आदि आठ करोड मुनि मुक्ति नए हैं ॥ इहां मंदिर हैं ॥ २० ॥ इस गजपंथ से नाशकका इष्टेसन दश मील है ॥ इहांसे पुनाका टिकट लेवे ॥ बीचमें कल्याणीजीवरीके इष्टेसन ऊपर इस रेलसे उतरके पुना जानेवाली रेलमें बैठे ॥ पुनामें रेलके इष्टेसनकेपास धर्मशाला है वहां ठहरे ॥ जो चार पाँच आदमी होय तो येतालपेठमें जाके ठहरे ॥ इहांसे दो मील येतालपेठ बजार है वहां स्वेतंबरका पंचायती बडा मंदिर है उसके बराबर दिगंबर मंदिर एक है |' दूसरा मंदिर मीठगंज में है | जैसे मंदिर तीन हैं ॥ चैत्यालय पाँच हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकों के घर हैं ॥ हुंबड श्रावकों के घर हैं ॥ सेतवाल श्रावकों के घर हैं ॥ चतुर्थ श्रावकों घर हैं ॥ पंचम श्रावकोंके घर हैं । ये सहर बहुत बडा है एक लाख कै हजार घर हैं । और
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(१३)
इन सहरसे न्यारी चार छावनी अंगरेजोंकी हैं ॥ २१ ॥ पुनासे टिकट रातको कुरडुकी वाडीका लेवे सो दो घहरमें पहुंचे || रेलके सामने धर्मशाला बडी है वहां ठहरे ॥ मंदिर एक बहुत छोटा है ॥ हुंबड श्रावकों के नौ घर हैं | इनकेमारफत गाडी जाडे ठेके में करे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान छ दिनका लेवे ॥ रस्ते में खानेका सामान मिलता है | और रस्तेमें छोटे गांवों में श्रावकों के घरों में प्रतिमा हैं सो दर्शन करे | और किसीकेपास कोरे कपडे ॥ रंगेवस्त्र घडीबंध ॥ नये वरतन इन आदि कोई नई बस्तु होय सो कुरडुकी वाडी में हुंबड श्रावकोंके सुपुर्द करे फिर आती बखत लेवे ॥ रस्तेमें हैदराबादवालेका राज है सो रहदारीवाले हैं सो एक आनेकी कोइ बस्तु नई होय तो उसका महसूल लेके तकलीफ देते हैं ॥ २२ ॥ कुरडुकी वाडी से कुंथगिरि पर्वत सिद्धक्षेत्र चालीस मील है ॥ इहांसे सोला मील बारसीनगर है ॥ इहां मंदिर एक है | सेतवाल श्रावकोंके घर हैं । हुंबड श्रावकों के घर हैं | खंडेलवाल श्रावकोंके घर हैं | और बंस्थल पर्वतके निकट जाग पश्चिम दिशा में कुंथुगिरिके शिखरमें कुलभूषण देशभूषण मुनि मुक्ति गये हैं | इस पर्वत ऊपर मंदिर शिखरबंध छ हैं | नीचे मंदिर
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' (१४) एक छोटा है । इहांसे कुरड़की वाडी आवे ॥ २३ ॥ इहांसे बाहुबलीजीकी ॥ जैनबद्रीकी ॥ मोडवगी आदिके तरफकी यात्रा करनेको जावे ॥ तथा धवल ॥महाधवल ॥ जयधवल ॥ विजयधवल आदि सिद्धांत शास्त्रका दर्शन ॥ तथा रत्नोंकी प्रतिमाका दर्शन करने होय तो इहांसे जावे ॥और किसीको नहीं जाना होय तो कुरडूकी बाडीसे रातके दशबजे टिकट बंबइका लेवे दूसरे रोज न्याराबजे दिनके बंबइमें उतरे ॥ २४ ॥ अब जैनबद्री मोडवन्द्री आदिकी यात्रा जानेका रस्ता लिखते है । कुरडूकी वाडीसे टिकट सोलापुरका लेवे दो घंटेमें रेल पहुंचती है ॥ रेलसे एक मील तलावके पास धर्मशाला है वहां ठहरे ॥ मंदिर तीन हैं। चैत्यालय पच्चीस हैं ॥ हुंबड श्रावकोंके छप्पन घर हैं। सेतवाल श्रावकोंके सौ घर अपर हैं।काशार श्रावकोंके छबीस घर हैं ॥ पंचम भावकोंके दश घर हैं। चतुर्थ श्रावकोंके घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके दो घर हैं इस सहरमें पच्चीस हजार घर अंदाज वस्ती है ।। और कि- . सीकेपास बोफ जादा होय ॥ अथवा कपडा बरतन
आदि कोई बस्तु नई होय तो इस सोलापुरमें ठिकाना फलटणगलीमें सखारामजी हीराचंदजी हुंबड श्रावक है सो नेमीचंदजीके पत्र हैं सो जो बस्त रखनी होय
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सो इनके सुपुर्द करे ॥ फिर आती बखत इहांसे लेवे॥ये लायक आदमी धनवान है धर्मके रोचक हैं इ. नके तीन बड़े भाई और हैं जोतीचंदजी गौतमजी रामचंदजी ये पाँचों नी धर्मके रोचक विद्वान शुद्ध दिगंबर आमनायवाले हैं इनके पिता नेमीचंदजी शुद्ध तेरा पंथी पक्के सरधानी थे। इस नगरमेंसे खानेका सामान जो चाहिये सो पंदरादिनका लेवे ॥ २५ ॥ सोलापुरसे टिकट श्यामको रायचूरका लेवे सो चार पहरमें सूरज उगते उतरे। रेलके सामने बड़ी धर्मशाला है वहां ठहरे ॥ इहांसे एक मील जपर किला है वहां एक दिगंबर मंदिर है सो वहां जाके दर्शन करके जरूर श्रायके रसोई जलदी बनायके जीमके रेलके इष्टेसनपर ग्याराबजे आवे ॥ बंबइकी रेल दिनके साडेग्याराबजे इहांतक आती है ॥ आगे रायचूरसे मदराज हाथेकी रेल न्यारी जाती है ॥ २६ ॥ रायचूरसे दिनके साडेग्याराबजे टिकट आरकोनका लेवे सो दूसरे रोज दिन उगते पहलीपाँचबजे रेलसे उतरे ॥ रेलसे नजीक धमशाला है वहां ठहरे ॥ इस देशमें इसीको छतर कहते है। आरकोनसे मदराज सहरके आनेजानेके रेलके नाडेके दशआने लगते हैं। किसीको जाना होय तो देख आवे ॥ २७ ॥ श्रारकोनसे रातके आवबजे
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(१६)
टिकट बंगलौर सहरका लेवे ॥ बीचमें ज्वालारपेठके इष्टेसन ऊपर रातको बाराबजे इस रेलसे उतरके बिंगलौर जानेवाली रेलमें बैठे सो दिन उगते सातबजे उतरे || रेलसे थोडी दूर तलाव है वहां जैनका छतर है उनमें ठहरे || इसका नाम धर्मशाला है ॥ इहांसे पाव मील बडे बजारके नजीक गली में जिनापा श्रावकके घरके नजीक एक दिगंबर मंदिर है | इस विंगलौर में पंचम श्रावकों के बीस घर हैं | इस देश में ये सहर बहुत बडा है | और छावनी न्यारी है सो बहुत ash है ये सहर मैसूर राजाका है ॥ २७ ॥ बिंग-' लौरसे टिकट मैसूरका लेवे ॥ तीनपहरमें रेल पहुँचती है | रेलसे एक मील बजार है | वहां तिमापा मोती काने पंचम श्रावक लखपती असामी है | इनके sri बडा मकान है वहां ठहरे | इन सेठके चार बेटे हैं || शांतराज ॥ अनंतराज ॥ ब्रह्मसूरि ॥ पद्मराज ॥ और तिमापाके बडे भाइ वीरापा है इनके जी बेटे हैं ॥ मंदिर एक है ॥ चैत्यालय चार हैं | ये सहर वडा है राजाका राज है ॥ इहां राजंना श्रावक है सो संस्कृत विद्या पढा है ॥ इहांसे गाडीभाडे करे | तीन दिनका खानेका सामान लेवे ॥ इहांसे बाहुबलीकी यात्राको जावे ॥ पचास मील है ॥ २० ॥ मैसूरसे
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(१७) नौ मील रंगपटण है ॥ मंदिर एक है ॥ जैनी ब्राह्मणोंके घर हैं ॥ इहांसे आगे इकतालीस मील श्रवणबेलगुल है। इहां धर्मशालामें ठहरे। इस नगरमें मंदिर आठ हैं। चैत्यालय छ हैं दोनों पर्वतऊपर मंदिर बावीस हैं ॥ पट्टाचारीके मंदिरमें संदूकमें ॥ लालकी प्रतिमा दो हैं ॥ सोनाकी चांदीकी दो प्रतिमा हैं।इहांसे बाहुबली के पर्वत ऊपर जावे ॥ मंदिर आठ हैं। इहां श्रीबाहुबली स्वामीकी प्रतिमा कायोत्सर्ग बहुत ऊंची है। इनके पांवका पंजा लंबा साडेपांच हाथ है। इस बाहुबली स्वामीके दोनों पावके दोनों बगलमें पस्थरके दो पर्वत बहुत छोटे हैं ॥ इनके बांये बाजूमें लिखा है के विक्रमके संवत छहसौ में चामुंड राजा हुवा है । इस पर्वतके सामने दूसरा चिकबेट पहाड है। इसके ऊपर चौदा मंदिर हैं । एक मंदिरमें प्रतिमा कायोत्सर्ग ऊंची है सीढी लगाके प्रक्षाल करते हैं। श्रवण बेलगुलमें शास्त्र संस्कृत प्राकृत तथा करनाटकी नापाके चारों अनुयोगके ताडके पत्र ऊपर लिखे हजारों हैं मंदिरमें तथा ब्राह्मणोंके घरों में है। सूरशास्त्री ब्राह्मण संस्कृत विद्या पढे है ॥ इहां जैनी ब्रासयोंके अंदाज पच्चीस घर हैं ॥ जैनी कासारके बीस घर हैं ॥ श्रवण विलगुलसे जिननाथपुरा नाम डेढ
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(१८)
मील है ॥ वहा मंदिर एक है ॥ लाख रुपये अंदाज लगे होयगें ॥ जो. कोई जैनी नाई श्रावक यात्राको जावे तो इस मंदिरके जीर्ण उद्धार करनेको अपनी सक्ती माफीक द्रव्य जरूर देवे इहांसे मोडबद्री आदिकी यात्रा करनेको जावे ॥ एकसौ अस्सी मील अंदाज है॥ गाडीनाडे ठेकेमें करे॥ रोजिनदारीमें नहीं करे ॥ पंदरा दिनका खानेका सामान गेहुंका आटा आदि लेवे ॥ चांवल रस्तेमें बहुत मिलते हैं ॥ रस्ता सडकका है । किसी बातका भय नहीं है ॥ ३० ॥ श्रवण बिलगुलसे दो मील हेली ग्राम है। एक मंदिर है। श्रावकोंके दो घर हैं । इहांसे चंद्राय पट्टण छ मील है। इहांसे सोला मील शांतग्राम है। मंदिर एक है॥ श्रावकोंके चार घर हैं। आगे श्राप मील हसन नगर बड़ा है ॥ मंदिर दो हैं ॥ पंचम श्रावकोंके पचास घर हैं ॥ जैनी ब्राह्मणों के पाँच घर हैं । इहांसे हलीबीडकी यात्रा बीस मील है। मंदिर तीन हैं । शांतिनाथ स्वामीकी ॥ पार्श्वनाथस्वामिकी ए दो प्रतिमा कायोत्सर्ग ऊंची अंदाज सोला हाय है। ॥ ३१ ॥ इहांसे बेलोर दश मील है बड़ा नगर है। इहांसे बाइस मील गिरामबीजरुली छोटा ग्राम पहाडमें काडीमें है ॥ इहांसे सोला 'मील अंगरेजोंकी
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चौकी है एक गाडीके चार आने लेते हैं इहांसे निगडग्राम सोला मील है ॥ इहां शांतिनाथ स्वामीका एक मंदिर है ॥ इहांसे गुरवाई ग्राम है ॥ मंदिर तीन हैं ॥ ये नगर उजाड है। इहांसे आगे अंगरेजोंकी दूसरी चौकी है एक गाडीके चार आने लेते हैं । इहांसे नौमील एनोर नगर है ॥ इहां ब्राह्मणोंके मकानोंमें ठहरे मंदिर आउ है ॥ इहां एक कोट पत्थरका बड़ा बना है। इसके नीतर पत्थरकी बड़ी बेदी बनी है ॥ इसके ऊपर श्रीबाहुबली स्वामीका प्रतिबिंब कायोत्सर्ग बडा बिराजमान है । इनके पांवका पंजा लंबा अंदाज पौनेतीन हाथ है ॥ इनकी प्रतिष्ठा शाके तेरासौ इकतीसके शाल हुई है ॥ इहां फागुण भुदि पूर्णिमाको रथ यात्राका उत्सव होता है । जैनी ब्राह्मणोंके पंदरा घर हैं ॥ ३२ ॥ इहांसे बारा मील मोडबद्री नगर है ॥ रस्तेमें गांवों में मंदिर हैं सो दर्शन करे ॥ मोडबद्रीमें ठहरनेका ठिकाना ॥ जैनीके मठमें ॥ पद्मराजसेतीके मकानमें ॥ कुंजमसेवीके मकानमें है । इस नगरमें मंदिर अगरे हैं। इनके सामिल चार मंदिर न्यारे और छोटे हैं। जैसे बाइस हैं। चैत्यालय एक कुंजमसेठीके मकानमें है ॥ इहां सर्व मतिमा अंदाज पाँच हजार ऊपर हैं । इन बाईस
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(२०) मंदिरमें दो मंदिर बड़े हैं ॥ एक चंद्रप्रभु स्वामीका ।। दूसरा पार्श्वनाथ स्वामीका इन दोनों मंदिरोंमें प्रतिमा जादा हैं ॥ चंद्रप्रभु स्वामीकी प्रतिमा पीतलकी कायोसर्ग ऊंची अंदाज साडेचार हाथ है ॥ इहां पार्श्वनाथ खामीके मंदिरमें और प्रतिमा रत्नोंकी सताइस न्यारी हैं उनके दर्शन पंचोंके हुकमसे कराते हैं । और धवल महा धवल जय धवल विजय धवल आदि सिद्धांत शास्त्र प्राकृत संस्कृत ताडके पत्र जपर लिखे चारों अनुयोगके हजारों हैं ॥ जैनी ब्राह्मणोंके तीस घर हैं ॥ पंचम भावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ ३३ ॥ मोडबद्रीसे कारकल नगर दश मील है ॥ ठहरनेका विकाना जैनके मउमें है। इस नगरमें मंदिर अगरे हैं ॥ इहां एक पर्वत छोटा है इसके ऊपर पत्थरका कोट बना है इसके नीतर पत्थरकी बड़ी बेदी बनी है । इसके ऊपर श्रीबाहुबली स्वामीका प्रतिबिंब कायोत्सर्ग बडा बिराजमान है ॥ इनके पांवका पंजा लेबा सवातीन हाथ है । इनकी प्रतिष्ठा संवत तेरासौ त्रेपनके शाल हुई है। इस देशके मंदिर आदिका जादा वर्णन खुलाशा विस्तारसे दूसरी बड़ी पुस्तक
और है उनमें लिखा है ॥ कारकलसे दूसरा रस्ता जानेका और है हुमसकटासे हुमसपद्मावती होके ॥
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(११) हुबली धारवाडसे जावे इहांसे कोलापुर इहांसे सतारेकी रेल होके पुना होके बंबई जावे इस मुजब भी रस्ता है जिधरकी तरफसे सुगम रस्ता होवे उधरकी तरफसे तलास करके जावे॥ और जो नहीं रस्ता मालुम होवे तो आये रस्ते कारकलमोडबद्री होके जावे तिनका जानेका रस्ता लिखते हैं ॥ ३४ ॥ कारकलसे मोडबद्री आवे ॥ इहांसे पंदरा दिनका खानेका सामान आटा दाल घृत आदि लेवे ॥ फेर भाये रस्ते पीछे लौटके बिंगलोर सेहर आवे ॥ ३५ ॥ बिंगलोरसे टिकट श्यामको प्रारकोनका लेवे सवेरे उतरे ॥ ३६ ॥ आरकोनसे टिकट रायचूरका लेवे छपेहरमें उतरे ॥ ३७ ॥ रायचूरसे टिकट दिनके साडेग्याराबजे बंबईका लेवे सो दूसरेरोज दिनके ग्याराबजे उतरे ॥ रेलसे पीजरा पोल तथा भुलेश्वर एक मील ऊपर है ॥ वहां - हरनेकी जगे आरामकी सहरके बीच है ॥ इहांसे दिगंबर मंदिर नजीक है ॥ इस बंबई में एक मंदिर है ॥ एक चैत्याला है ॥ मंदिर बहुत छोटा है। इसमें पचास आदमी बैठे उतनी जगे है। बडा मंडल मांडके उतछव करनेकी जगे नहीं है । इस मंदिरमें जितनी प्रवृत्ति हैं सो सब खेतंबर मतवालोंसरीखी
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(२२) है जैसे उनके मनमे बीचार होता है उस मुजिब करते हैं । इहां शुद्ध दिगंबर आम्नायवालोंको धर्म सेवन करनेकी बड़ी तकलीफ थी इस वास्ते नाडेका मकान लेके प्रतिमाजी बिराजमानकी है पचास साठ आदमी बैठे उतनी जगे है । इहां हजारों आदमी शुद्ध दिगंबरी आते हैं उनको बैठके धर्म सेवन करनेको बडा मंदिर नहीं है जिसवास्ते सर्व देशके जैनीलाईयोंके तरफसे शुद्ध दिगंबर आनायका बडा मंदिर बनेगा इहां दिगांबर आवक धनवान नहीं है. इसवास्ते इसके बनानेका सर्व देशके जैनी नाई रुपैये देनेकी मदत जरूर करें ॥ और इस बंबइमें दिगंबरी इतनी जातके श्रावकोंके घर हैं उनके नाम लिखते हैं। खंडेलवाल श्रावकोंके घर हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके घर ॥ हुंबड श्रावकोंके घर ॥ नरसींगपुरा श्रावकोंके घर ॥ पल्लीवाल श्रावकोंके घर ॥ जेसवाल श्रावकोंके घर । सेतवाल श्रावकोंके घर ॥ पंचम भावकोंके घर इन आदिकै जातके श्रावकोंके धर हैं ॥ बंबई सहर बहुत बड़ा है उ-. जल वस्ती है देखनेलायक है ॥ ३९ ॥ बंबईसे टिकट बडोदेका लेवे चार पहरमें पोहचे॥ रेलके सामने बडी बडी धर्मशाला हैं उनमें ठहरे ॥ इहांसे दो मील पाणीदरवाजेके नजीक नवी पोलमें दिगंबर मं
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(२३) '. दिर है ॥ दूसरा मंदिर बाडीके बजारमें है ॥ मेंवाडा
श्रावकोंके बीस घर हैं ॥ हुंबड श्रावकोंके तीन घर हैं। खंडेलवाल श्रावकोंके छ घर हैं ॥ अगरवाले श्रावकोंके दो घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंका एक घर है ॥ इहांसे छ दिनका खानेका सामान लेवे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ गाडीभाडे करें ॥ ३५ ॥ बडोदासे तीस मील पावागढ सीद्ध क्षेत्र है ॥ इहां धर्मशाला आदिमें ठहरे ॥ इहां दिगंबर मंदिर एक है ॥ इहांसे स्नान करके ॥ पूजनकी सामग्री लेके चले ॥छ मील पावागढ पर्वत ऊपर जावे इहांसे लव अंकुश लाडदेशका. राजा आदि पाँच करोडमुनि मुक्ति गये हैं । इहां पर्वत ऊपर मंदिर एक पार्श्वनाथ स्वामीका है ॥ पावागढसे बडोदे आवे ॥ ४० ॥ बडोदेसे टिकट बडवानका लेवे ॥ इहां धर्मशालामें ठहरे ॥ ४ ॥ बड़वानसे टिकट सोनगढका लेवे ॥ इहांसे गाडीनाडे करके चौदा मील पालीटाने जावे ॥ धर्मशालामें उहरे। इहांसे छ मील सर्चुजय पर्वत ऊपर जावे इहांसे
युधिष्टिर नीम अर्जुन ॥ द्रविडदेशका राजा आदि प्रा• उ करोडमुनि मुक्ति नये हैं । इस पर्वत ऊपर दिगंब
र मंदिर एक है ॥ नीचे पालीटानेमें मंदिर एक है। इहांसे सोनगढ आवे ॥ ४२ ॥ सोनगढसे टिकट
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(२४) कूनागढका लेवे ॥ बीचमें रेल जयतपुरमें बदलती है। कूनागढके रेलके इष्टेसनसे एकमील दिगंबर खेतंबरकी धर्मशाला है इनमें ठहरे ॥ मंदिर एक दिगंबरका है ॥ जूनागढसे दिनके तीनबजे पीछे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे खानेका सामान धोती. दुपट्टे बिछानेकेवास्ते इन आदि जो वस्तु चाहिए सो लेवे ॥ - नागढसे तीन मील दिगंबर. खेतंबरकी धर्मशाला है उनमें ठहरे इहांसे सवेरे स्नान करके पूजनकी सामग्री लेके चले सो गिरनारके पर्वत ऊपर दिगंबरके दो मंदिर हैं वहां पूजा करे ॥ फिर केवल कल्याणके स्थानमें मोक्षके स्थानमें दीक्षाके स्थानमें इन आदि सर्व स्थानमें पूजा करे इस गिरनार प. र्वत ऊपरसे नेमनाथ स्वामी ॥ प्रद्युम्न कुमार ॥ संअकुमार अनिरुधकुमार आदि बहत्तर करोडमुनि मोक्ष गये हैं । इस.पर्वतसे उतरके नीचे धर्मशालामें आवे इहां खानेका सामान रखा है सो खाके जूनागढ आवे ॥ ४३ ॥ जूनागढसे टिकट अमदाबादका लेवे बीचमें दो ठिकाने रेल बदलती है। जयतपुरमें ॥ बढवानमें इस रेलसे उतरके अमदाबाद जानेवाली रेलमें बैठे ॥ अमदाबादमें रेलके सामने बावडीके पास बडी धर्मशाला है. वहां उरे ॥ मंदिर तीन
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(२५) हैं ॥ चैत्यालय दो हैं ॥ हुंबडश्रावकोंके तीन घर हैं। मेवाडा श्रावकोंके दो घर हैं। नरसिंगपुरा श्रावकोंके बारा घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके दो घर हैं ॥ ये सहर बहुत बड़ा है ॥ ४५ ॥ अमदावादसे टिकट पालनपुरका लेवे॥ रेलसे नजीक धर्मशाला है वहां पहरे ॥ इस नगरमें स्वेतंबरका पंचाईती मंदिर बड़ा है उनमें दिगंबर दो प्रतिमा पीतलकी पद्मासन ऊंची एक बिलसतकी है सो पूजारीको दो आनेके पैसे देके प्रक्षा.ल करके दर्शन करे ॥ इहांसे गाडीभाडे करे छ दिन
का खानेका सामान पूजनकी सामग्री लेवे ॥ ४६ ॥ पालनपुरसे अट्ठाइस मील तारंगा सिद्ध क्षेत्र है रस्तेमें रेता बहुतसा आता है जिस्से दो दिन लगते हैं ॥ और रस्तेमें छोटा गांव आता है वहां खेतंबरके मकानमें एक प्रतिमा पीतलकी पद्मासन ऊंची पाँच उंगलकी दिगंबर है सो प्रक्षाल करके दर्शन करे ॥ इस तारंगा सिद्ध क्षेत्रमें दो पर्वत है इसके ऊपरसे वरदत्त वरांग सागर आदि साडेतीन करोडमुनि मुक्त नये हैं । इस पर्वतके नीचे मैदानमें मंदिर पाँच हैं । इहांसे पालनपुर आवे ॥ ७ ॥ और आबूके पर्वत अपर दिगंबर मंदिर हैं सो किसी जैनीनाईयोंको यात्रा दर्शन करना होयतो रस्तेमे है पालनपुरसे टिकट खे
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(२६) राडीका लेवे तीस मील है ॥ रेलके नजीक धर्मशाला है वहां ठहरे इहांसे घोडा नाडे करे चार दिनका खानेका सामान लेवे पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खेराडीसे चौदा मील आबूके पर्वत ऊपर देलवाडाकेपास जावे वहां दिगंबरके खेतंबरके मंदिरकेंपास धर्मशाला है वहां ठहरे इहां दिगंबर मंदिर दो हैं। खेतंबर मंदिर चार हैं ॥ इनमें एक मंदिरके दरवाजे ऊपर दिगंबरमति-' माहै सो खेतंबरमतिमाके शामिल हैं ॥ और पाँच प्रतिमा दिगंबर न्यारी हैं दूर अपरकी बाजूमें छोटी छतरी में विराजमान हैं ॥ और इहां खेतंबरके मंदिर सुपेद पत्थरके बने हैं उसके ऊपर कोरनीका काम बहुत उम्दा कीया है देखने लायक है असा काम कोरनीका किसी देशमें नहीं है ये पहाड सौ मीलके गिरदावसे जादा है । इहां हाजारों बंगले अंगरेजोंके हैं पचास मीलके फैलावके नीतर बने हैं बहुतसे व्यापरीयोंकी दुकाने हैं बजार लगे हैं देखने लायक रमनीक स्थान है ॥ इहांसे. छ मील ऊपर अचलगढ है वहां खेतंबरके मंदिर बड़े बड़े हैं इनमें पीतलकी प्रतिमा पद्मासन कायोत्सर्ग बड़ी बड़ी चौदा खेतंबरकी हैं चार पाँच ठिकाने न्यारी न्यारी रक्खी हैं पीतल बहुत अछा है ये नी स्थान देखनेलायक है ॥
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इस पर्वतसे उत्तरके नीचे खेराडी आवे ॥ ५ ॥ खेराडीसे टिकट अजमेरका तथा जयपुरका लेवे ॥४ए ॥ जयपुरसे टिकट दिल्लीका तथा आगरे आदि अपने अपने नगरके प्रति जानेका लेवे ॥५०॥ जो ये ऊपर लिखी दोनों भागकी यात्रा हैं इन सि वाय जो वाकी रही यात्रा ॥ सिद्ध क्षेत्रोंकी तथा नगवानके जन्मनगरियोंके विकाने मालुम नहीं है सो किसी जैनी नाइयोंको मालुम होय तो सर्व देशमें इनके ठिकाने जरूर लिख भेजे ॥ यात्राके नाम लिखते है । पावागिरिक शिखर निकट सुवर्ण नद्रादिक चार मुनि मुक्त नये हैं ॥ १ ॥ चेलना नदीके अनन्नाग विषय मुनि मुक्त नये हैं ॥ २॥ कलिंग देशमें कोट शिला है जहांपर राजा दशरथके पाँचसौ पुत्रोंको आदि लेके कोटि मुनि मुक्त नये हैं ॥३॥ रेवानदीके दोनों तटके विषय रावण राजाके बेटोंको आदि लेकर साडेपाँच हजार मुनि मुक्त नये हैं ॥ ४ ॥ और द्रोणीमती बिषय ॥ ५ ॥ प्रवर कुंडल विषय ॥ ६ ॥ प्रवरमें ढक बिषय ॥ ७ ॥ वैज्ञार पर्वतके तल विषय ॥ ॥ वर सिद्धकूट विषय ॥ ए, श्रवणगिरि विषय ॥ १० ॥ विपुलाद्रि विषय ॥ ११ ॥ बलाह बिषय ॥ १२ ॥ विंध्याचल विषय ॥ १३ ॥
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पोदनापुर विषय ॥ १४ ॥ वृषदीपक बिषय ॥ १५ ॥ सद्याचल विषय ॥१६॥ हिमवत पर्वत विषय ॥१७॥ सुप्रतिष्ट विषय ॥ १॥ दंडात्मक विषय ॥ १५ ॥ प्रथुसारयष्टि बिषय ॥ २७ ॥ नदीके तटविषय जितरिपु सुवर्णजद्र आदि मुनि मुक्त नये हैं ॥ २१ ॥ रेवानदीके दोनों तट बिषय बहुतसे मुनि मुक्त - ये हैं ॥ २२ ॥ गुरुदत्त वरदत आदि पांच मुनि रिस्सिदेह पर्वतके शिखर विषय मुक्त नये हैं ॥ २३ ॥ इतने ठिकाने मुक्त गये हैं परंतु इनके स्थान मालुम नही हैं । और कैलास पर्वत ऊपरसे ऋषन्नदेव नागकुमार मुनिजद्र ॥ बाल महावाल छेद अनेद्य आदि मोक्ष नये हैं ॥ २४ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
जिन नगवानकी जन्मनगरियोंके ठिकाने मालुम नही हैं तिनके नाम लिखते हैं। नौवें तीर्थकरकी नगरी काकिंदीपुरी है। दशवें तीर्थकरकी नगरी मालव देशमें जपुरी ॥ १ ॥ पंदरवें तीर्थकरकी नगरी रत्नपुरी ॥ २ ॥ उन्नीसवें तीर्थकरकी नगरी बंगदेशमें मिथिलापुरी ॥ ३ ॥ बीसवें तीर्थंकरकी नगरी राजग्रहपुरी ॥ ४ ॥ इक्की सवे तीर्थंकरकी नगरी बंगदेशमें मिथिलापुरी ॥ ५ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
जो ये दूसरे नागकी यात्रा दिल्ली आगरेसे लगाके
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(२९) बंबई हायेकी तथा मदराज हाथेकी सर्व यात्रा करे तो चार महीने लगते हैं ॥ एक आदमीके खरचके ॥ नोजनके तथा रेल गाडीके नाडेके बैलगाडीके घोडा गाडीके नाडे आदिके सौ रुपये लगते हैं और पूजनकी सामग्री तथा मंदिरके भंडारके वा दुखित भुखित पादि धर्मकार्यके रुपये न्यारे लगते हैं ॥ ॥ये यात्राकी छोटी पुस्तक सवाई जयपुरवाला दुलीचंद पाक्षिक श्रावकने पंजाब देशमें अंबालेकी छावनीमें बनाई है इहांके मुसद्दी लाल अगरवाले श्रावक सरधानीके कहनेसे ये ॥ पुस्तक जैनधर्मियोंकी यात्राकी है ॥ सवंत १९४४ मार्गशीर्ष शुदी २ गुरुवारके रोज तयारकी है ॥ ॥और बंबैमें शुद्ध दिगंबर आम्नायका मंदिर पायधूनीपर जती अन्नयचंदजीके मकानमे तीसरे मालेऊपर है विकाना तामलेटकी बड़ी सडकके चौ रस्तेके पास कालकादेवीके मंदिरके सामने दोनों खेताम्वरी मंदिरोंके बीचमे तीसरा दिगंवरी मंदिर है॥ ॥ये सर्व यात्राकी पुस्तक दिगंबर पानायके . श्रावकोंके सर्वके घरमें एक एक जरूर रहना चाहिये रोज इस पुस्तकका जो कोई पाठ करके सर्व यात्राका ध्यान करे तो बहुतसे पापका नाश होवेगा॥ ॥
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(३०) ये यात्राकी पुस्तक मारवाडी बाजारमें गुरुमुखराय सुखानन्द दिगंबर श्रावककी दुकानपर मिलती है जिस किसी श्रावकको चाहिये तो चिठ्ठी द्वारा अपना पता देके मंगा लेवै ॥ . ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
समाप्त.
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MERICISTMECARE
Prese
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4
इस पुस्तकसे दूसरी बडी पुस्तक
औरभी है, उसमें बहुत वि। स्तारसे यात्राका खुलासा
वर्णन किया है. ..
Maya
HI
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। ये यात्राकी पुस्तक दिगम्बरमतकी दुमिला लीचंद पाक्षिक श्रावकनें बनाई है, सो त
दिगंबर मतवाले यात्रियोंको इसके देखनेसे
यात्रा सुगम होवे । और कोई तीर्थ छूटने . सेन पावे. संपूर्ण यात्रा सुखसे होवे. संवत् ।
१९४५ फागण कृष्णा द्वितीया रविवार.
SMAakhira
40
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SA
TIMATERIORT
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