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________________ खंडेलवाल तथा अगरवाले श्रावकोंकी धर्मशाला है इनमें ठहरे इहां आरामकी जगे है ॥ इहाँ मंदिर दो हैं ॥ दिल्ली सहरमें पहाडीमें जयसिंहपुरेमें इन आदि सर्व ठिकाने मंदिर बारा हैं । चैत्यालय ग्यारा हैं । अगरवाले श्रावकोंके अंदाज तेरासौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सतर घर हैं ॥ मारवाडी अगवाले श्रावकोंके दश घर हैं। दिल्ली सहर बहुत बडा है एक लाख कै हजार घर हैं ॥ ५ ॥ दिल्लीसे टिकट हाथरस मथुराका लेवे ॥ बीचमें मेंडूके इष्टेसन ऊपर रेल बदलती है सो इस रेलसे उतरके मथुरा जानेवाली रेलमें बैठे मेंडूसे हाथरस छ मील है ॥ एक इ. ष्टेसन है ॥ रेलसे पाव मील श्रावकोंका बडा मंदिर है उसके बराबर धर्मशाला है उनमें ठहरे ॥ इहां मंदिर · दो है इनमें एक मंदिर बहुत बड़ा है देखनेलायक है। मारवाडी अगरवाले श्रावकोंके साठ घर हैं ॥ खंडेलबाल श्रावकोंके चालीस घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके आठ घर हैं ॥ ६ ॥ हाथरससे टिकट मथुराका लेवे॥ रेलसे घियामंडी डेढ मील है वहां दिगंबरके मंदिरमें जाके तलास करके ठहरे ॥ मथुरा सहरमें मंदिर दो हैं । चैयालय तीन हैं ॥ चौरासीमें मंदिर एक बहुत बड़ा है । जमुनानदीके पहिले पार हंसगंज
SR No.010370
Book TitleJain Yatra Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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