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(११) हुबली धारवाडसे जावे इहांसे कोलापुर इहांसे सतारेकी रेल होके पुना होके बंबई जावे इस मुजब भी रस्ता है जिधरकी तरफसे सुगम रस्ता होवे उधरकी तरफसे तलास करके जावे॥ और जो नहीं रस्ता मालुम होवे तो आये रस्ते कारकलमोडबद्री होके जावे तिनका जानेका रस्ता लिखते हैं ॥ ३४ ॥ कारकलसे मोडबद्री आवे ॥ इहांसे पंदरा दिनका खानेका सामान आटा दाल घृत आदि लेवे ॥ फेर भाये रस्ते पीछे लौटके बिंगलोर सेहर आवे ॥ ३५ ॥ बिंगलोरसे टिकट श्यामको प्रारकोनका लेवे सवेरे उतरे ॥ ३६ ॥ आरकोनसे टिकट रायचूरका लेवे छपेहरमें उतरे ॥ ३७ ॥ रायचूरसे टिकट दिनके साडेग्याराबजे बंबईका लेवे सो दूसरेरोज दिनके ग्याराबजे उतरे ॥ रेलसे पीजरा पोल तथा भुलेश्वर एक मील ऊपर है ॥ वहां - हरनेकी जगे आरामकी सहरके बीच है ॥ इहांसे दिगंबर मंदिर नजीक है ॥ इस बंबई में एक मंदिर है ॥ एक चैत्याला है ॥ मंदिर बहुत छोटा है। इसमें पचास आदमी बैठे उतनी जगे है। बडा मंडल मांडके उतछव करनेकी जगे नहीं है । इस मंदिरमें जितनी प्रवृत्ति हैं सो सब खेतंबर मतवालोंसरीखी