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(२९) बंबई हायेकी तथा मदराज हाथेकी सर्व यात्रा करे तो चार महीने लगते हैं ॥ एक आदमीके खरचके ॥ नोजनके तथा रेल गाडीके नाडेके बैलगाडीके घोडा गाडीके नाडे आदिके सौ रुपये लगते हैं और पूजनकी सामग्री तथा मंदिरके भंडारके वा दुखित भुखित पादि धर्मकार्यके रुपये न्यारे लगते हैं ॥ ॥ये यात्राकी छोटी पुस्तक सवाई जयपुरवाला दुलीचंद पाक्षिक श्रावकने पंजाब देशमें अंबालेकी छावनीमें बनाई है इहांके मुसद्दी लाल अगरवाले श्रावक सरधानीके कहनेसे ये ॥ पुस्तक जैनधर्मियोंकी यात्राकी है ॥ सवंत १९४४ मार्गशीर्ष शुदी २ गुरुवारके रोज तयारकी है ॥ ॥और बंबैमें शुद्ध दिगंबर आम्नायका मंदिर पायधूनीपर जती अन्नयचंदजीके मकानमे तीसरे मालेऊपर है विकाना तामलेटकी बड़ी सडकके चौ रस्तेके पास कालकादेवीके मंदिरके सामने दोनों खेताम्वरी मंदिरोंके बीचमे तीसरा दिगंवरी मंदिर है॥ ॥ये सर्व यात्राकी पुस्तक दिगंबर पानायके . श्रावकोंके सर्वके घरमें एक एक जरूर रहना चाहिये रोज इस पुस्तकका जो कोई पाठ करके सर्व यात्राका ध्यान करे तो बहुतसे पापका नाश होवेगा॥ ॥