Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 41
________________ (१३) इन सहरसे न्यारी चार छावनी अंगरेजोंकी हैं ॥ २१ ॥ पुनासे टिकट रातको कुरडुकी वाडीका लेवे सो दो घहरमें पहुंचे || रेलके सामने धर्मशाला बडी है वहां ठहरे ॥ मंदिर एक बहुत छोटा है ॥ हुंबड श्रावकों के नौ घर हैं | इनकेमारफत गाडी जाडे ठेके में करे ॥ पूजनकी सामग्री लेवे ॥ खानेका सामान छ दिनका लेवे ॥ रस्ते में खानेका सामान मिलता है | और रस्तेमें छोटे गांवों में श्रावकों के घरों में प्रतिमा हैं सो दर्शन करे | और किसीकेपास कोरे कपडे ॥ रंगेवस्त्र घडीबंध ॥ नये वरतन इन आदि कोई नई बस्तु होय सो कुरडुकी वाडी में हुंबड श्रावकोंके सुपुर्द करे फिर आती बखत लेवे ॥ रस्तेमें हैदराबादवालेका राज है सो रहदारीवाले हैं सो एक आनेकी कोइ बस्तु नई होय तो उसका महसूल लेके तकलीफ देते हैं ॥ २२ ॥ कुरडुकी वाडी से कुंथगिरि पर्वत सिद्धक्षेत्र चालीस मील है ॥ इहांसे सोला मील बारसीनगर है ॥ इहां मंदिर एक है | सेतवाल श्रावकोंके घर हैं । हुंबड श्रावकों के घर हैं | खंडेलवाल श्रावकोंके घर हैं | और बंस्थल पर्वतके निकट जाग पश्चिम दिशा में कुंथुगिरिके शिखरमें कुलभूषण देशभूषण मुनि मुक्ति गये हैं | इस पर्वत ऊपर मंदिर शिखरबंध छ हैं | नीचे मंदिर ॥ ॥

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