Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 43
________________ सो इनके सुपुर्द करे ॥ फिर आती बखत इहांसे लेवे॥ये लायक आदमी धनवान है धर्मके रोचक हैं इ. नके तीन बड़े भाई और हैं जोतीचंदजी गौतमजी रामचंदजी ये पाँचों नी धर्मके रोचक विद्वान शुद्ध दिगंबर आमनायवाले हैं इनके पिता नेमीचंदजी शुद्ध तेरा पंथी पक्के सरधानी थे। इस नगरमेंसे खानेका सामान जो चाहिये सो पंदरादिनका लेवे ॥ २५ ॥ सोलापुरसे टिकट श्यामको रायचूरका लेवे सो चार पहरमें सूरज उगते उतरे। रेलके सामने बड़ी धर्मशाला है वहां ठहरे ॥ इहांसे एक मील जपर किला है वहां एक दिगंबर मंदिर है सो वहां जाके दर्शन करके जरूर श्रायके रसोई जलदी बनायके जीमके रेलके इष्टेसनपर ग्याराबजे आवे ॥ बंबइकी रेल दिनके साडेग्याराबजे इहांतक आती है ॥ आगे रायचूरसे मदराज हाथेकी रेल न्यारी जाती है ॥ २६ ॥ रायचूरसे दिनके साडेग्याराबजे टिकट आरकोनका लेवे सो दूसरे रोज दिन उगते पहलीपाँचबजे रेलसे उतरे ॥ रेलसे नजीक धमशाला है वहां ठहरे ॥ इस देशमें इसीको छतर कहते है। आरकोनसे मदराज सहरके आनेजानेके रेलके नाडेके दशआने लगते हैं। किसीको जाना होय तो देख आवे ॥ २७ ॥ श्रारकोनसे रातके आवबजे

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