Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ (१७) नौ मील रंगपटण है ॥ मंदिर एक है ॥ जैनी ब्राह्मणोंके घर हैं ॥ इहांसे आगे इकतालीस मील श्रवणबेलगुल है। इहां धर्मशालामें ठहरे। इस नगरमें मंदिर आठ हैं। चैत्यालय छ हैं दोनों पर्वतऊपर मंदिर बावीस हैं ॥ पट्टाचारीके मंदिरमें संदूकमें ॥ लालकी प्रतिमा दो हैं ॥ सोनाकी चांदीकी दो प्रतिमा हैं।इहांसे बाहुबली के पर्वत ऊपर जावे ॥ मंदिर आठ हैं। इहां श्रीबाहुबली स्वामीकी प्रतिमा कायोत्सर्ग बहुत ऊंची है। इनके पांवका पंजा लंबा साडेपांच हाथ है। इस बाहुबली स्वामीके दोनों पावके दोनों बगलमें पस्थरके दो पर्वत बहुत छोटे हैं ॥ इनके बांये बाजूमें लिखा है के विक्रमके संवत छहसौ में चामुंड राजा हुवा है । इस पर्वतके सामने दूसरा चिकबेट पहाड है। इसके ऊपर चौदा मंदिर हैं । एक मंदिरमें प्रतिमा कायोत्सर्ग ऊंची है सीढी लगाके प्रक्षाल करते हैं। श्रवण बेलगुलमें शास्त्र संस्कृत प्राकृत तथा करनाटकी नापाके चारों अनुयोगके ताडके पत्र ऊपर लिखे हजारों हैं मंदिरमें तथा ब्राह्मणोंके घरों में है। सूरशास्त्री ब्राह्मण संस्कृत विद्या पढे है ॥ इहां जैनी ब्रासयोंके अंदाज पच्चीस घर हैं ॥ जैनी कासारके बीस घर हैं ॥ श्रवण विलगुलसे जिननाथपुरा नाम डेढ

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