Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 33
________________ देशमें नहीं है । जिन्होने जयपुरके मंदिरके दर्शन नहीं कीये उनका जन्म वृथा है ॥ ३ ॥ जयपुरसे टिकट अजमेरका लेवे ॥ रेलसे श्राधे मील मूलचंद सेउका मंदिर डाकखानेकेपास है वहां ठहरें पारामकी जगे है। इस सहरमें मंदिर दश हैं । खंडेलवाल श्रावकोंके चारसौ घर हैं । खानेका सामान सोधका मूलचंद सेवके मकानसे लेवे ॥ ४ ॥ अजमेरसे टिकट रतलामका लेवे छपहरमें पहुंचती है। रेलसे डेढ मील चांदनीचौकमें जाके तलास करके धर्मशालामें ठहरें। मंदिर चार हैं ।। खंडेलवाल श्रावकोंके सवासौ घर हैं । हुंबड श्रावकोंके पच्चीस घर हैं ॥ अगर वाले श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ जेसवाल श्रावकोंके तीन घर हैं ॥ ५ ॥ रतलामसे टिकट इंदौरका लेवे। रेलसे एक मील तात्याकी बावडीकेपास खंडेवाल श्रावकोंकी धर्मशाला है वहां ठहरें ॥ मंदिर आप हैं । और बेणीचंदजी हुंबडश्रावकोंके मकान ऊपर चैत्यालय एक है।इनमें तीन चौवीसीकी बहत्तर प्रतिमा स्फटिककी हैं। और बड़े मंदिरोंमेंन्नी इन्हुने स्फटिककी बड़ी प्रतिमा बिराजमानकी हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके आपसौ घर हैं ॥ नरसिंगपुरा श्रावकोंके पचास घर हैं ॥ औरनी जातके श्रावकोंके घर हैं । इहांके श्रावक पक्के श्रद्धानी

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