Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 26
________________ ॥ (१२) मंदिर एक है | गोलापुरवके तथा परवार श्रावकोंके पैंसठ घर हैं ॥ इहांसे अमरमोह सात मील है ॥ मंदिर एक है | परवारके तथा गोलापुरव श्रावकोंके साव घर हैं ॥ इहांसे सायगढ दो मील है | मंदिर दो हैं गोलापुरव श्रावकों तथा परवार श्रावकोंके चालीस घर हैं । इहांसे दलपतपुर छबिस मील है | मंदिर तथा श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री जा. दा लेवे ॥ खानेका सामान आठ दिनका लेवे ॥ इहांसे एक आदमी रस्तेका जाननेवाला हुशियार साथ ज-रूर लेवे ऊाडी जंगलका रस्ता विकट है || दलपतपुरसे नैनागिरि सिद्ध क्षेत्र छ मील है ॥ वरदत्त आदि पाँच मुनि मुक्तजये हैं | मंदिर पंदरा हैं | इनमें एक मंदिर प्राचीन है बाकी सर्व नये बने हैं ॥ इहां पूजा करनेवालेका एक घर है | और जैनीका घर नहीं है ॥ इहाँ हमेसा सालकी साल कार्तिक में मेला होता है ॥ १५ ॥ नैनागिरिसे दमो तीस मील है | रस्तेमें मंदिर तथा श्रावकोंके घर हैं ॥ इहांसे एक आदमी रस्तेका जाननेवाला जरूर लेवे ॥ जंगल काडीका रस्ता बिकट है | दमोमें मंदिर आठ हैं । परवार श्रावकोंके सौ घर हैं ॥ इहांसे कुंडलपुरकी यात्रा इक्कीस मील है ॥ १६ ॥ दमोसे सोला मील छोटा गांव है | वहां मंदिर एक है ॥ श्रावकोंके तीन घर हैं ॥ इहांसे पवेरा तीन

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