Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 17
________________ (१३) गांव कहते हैं ॥ एक मंदिर है ॥ इहां उजाड है किसीका घर नहीं है ॥ अयोध्यासे तलास करके यात्रा करनेको जावे ॥ २२ ॥ अयोध्यासे टिकट नौराहीका लेवे दश मील है अथवा गाडीनाडे करके जावे ॥ यह पंदरवे धर्मनाथ स्वामीकी जन्मनगरी है ॥ इहां इनके चार कल्याणक हुवे हैं ॥ इहां नसीया है मंदिर तथा श्रावकोंका घर नहीं है ॥ २३ ॥ नौराहीसे टिकट लखनौका लेवे रेलसे अढाई मील गोलदरवाजेके पास चूडीवाली गलीमें डहले कुवेके नजीक शक्खबदास हरखचंद ओसवाल जौहरी दिगंबरकी कोठीमें दूसरा बड़ा मकान और है उनमें ठहरे ॥ इनका खास घरु मंदिर इनके मकानके बराबर है देखने लायक है इहांका सारा वर्णन दूसरी बड़ी पुस्तकमें विस्तारसे लिखा है। इस लखनौमें मंदिर तीन हैं चैत्यालय एक है ओसवाल दिगंबर श्रावकोंका एक घर है ॥ धनवान लायक है अगरवाले श्रावकोंके सौ घर हैं ॥ खंडेलवाल श्रावकोंके सत्रा घर हैं आगे संवत उनिस्से चौदाके सालमें गदरमें छ मंदिर ॥ दो चैक्यालय खुद गये ॥ बहुतसे श्रावकोंके घरथे सो सब चले गये। आगे ये सहर बहुत बडाथा एकसौ बारा मीलके गिरदेमेंथा सो अंगरेजोने खोदके मैदान कर

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