Book Title: Jain Yatra Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 23
________________ (२९) मीलऊपर गांव है ॥ इहांसे ललतपुर आवे ॥६॥ललतपुरसे पपोराजीकी यात्राकों जावे ॥ सडकके रस्ते चौंतीस मील है। गांवगांवमें खानेका सामान सोधका मिलता है । इहांसे गाडीनाडे करे॥ पूजनकी सामनी साथ रक्खे ॥ खानेका सामान तीन दिनका लेवे ॥ ए॥ ललतपुरसे गरसोरा तीन मील है। मंदिर एक है ।। परवार श्रावकोंके सोला घर हैं । इहांसे शीलावन मील नौ है चैयालय एक है ॥ परवार श्रावकोंका एक घर है ॥ इहांसे मारोनी मील सात है। मंदिर एक है ॥ परवार श्रावकोंके सौ घर हैं । इहांसे खिरिया मील तीन है मंदिर एक है ॥ परवार श्राव कोंके तीन घर हैं ॥ इहांसे प्रतापगंज छ मील है। चैत्यालय एक है ॥ परवार श्रावकोंके पंदरा घर हैं ॥ इ. हांसे टीकमगढ तीन मील है। मंदिर दश हैं ॥ परवार श्रावकोंके अढाई सौ घर हैं ॥ इहांसे पूजनकी सामग्री जादा लेवे॥खानेका सामान पाँच दिनका लेवे॥ इहांसे पयोराजीकी यात्रा तीन मील है ॥ मंदिर सत्तर हैं इनके सामिल चौबीस महाराजका मंदिर है इनमें न्यारी न्यारी प्रतिमा न्यारे न्यारे शिखर कलस ध्वजा सहित है । इहां हमेसा सालकी साल मेला चैतबदी दुइजसे लगाके चैतबदी चौदस्तक होता है बहुत आदमी इकडे होते हैं॥१०॥ इहांसे दोनागिरि सिद्ध

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