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भाषार्थ:- विशेष दृष्ट अनुमान प्रमाणद्वारा तीन काल ग्रहण होते हैं अर्थात् उक्त प्रमाणद्वारा तीन ही काळकी बातोंका निर्णय किया जाता है जैसेकि भूत कालकी वार्त्ता १ वर्त्तमान कालकी २ और भविष्यत कालमें होनेवाला भाव, यह तीन कालके भाव भी अनुमान प्रमाणद्वारा सिद्ध हो जाते हैं ||
मूल ॥ संकिंत्तं तीय कालग्गढ़ २ उत्तिणाई वलाई निष्पन्न सवसरसंवा मेईणि पुन्नाणि कुंक सर नदि ददसरण तलागाणि पासित्ता तें साहितइ जहा सुट्टी आसीसेतं तीयकालग्गहणं ॥
भाषार्थ - ( पूर्वपक्ष ) अनुमान प्रमाणके द्वारा भूतकालके पदार्थोंका बोध कैसे होता है । ( उत्तरपक्ष ) जैसे उत्पन्न हुए हैं वनों तृणादि, और पूर्ण प्रकारसे निष्पन्न हैं धान्न, फिर पृथिवीमें भली प्रकार से सुंदरताको प्राप्त हो रहे हैं और जलसे पूर्ण. भरे हुए हैं कुंड, सरोवर, नदी, द्रह, पानीके निज्झरण, सो इस प्रकार से भरे हुए तड़ागादिको देखकर अनुमान प्रमाणसे कहा जाता है कि इस स्थानोपरि पूर्व सुदृष्टि हुईथी क्योंकि