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(४६) जहा वहवे पुरिसा तहा एगे पुरिसे जहा एगो करिसावणो तहा वहवे करिसावणो जहा व. हवे करिसावणो तहा एगे करिसावणो सेतं सामान्नदिई॥
भाषार्थ:-(प्रश्नः) दृष्ट साधर्म्यता किस प्रकारसे वर्णित है ?(उत्तर) दृष्ट साधर्म्यता द्वि प्रकारसे वर्णन की गइ है जैसेकिसामान्यदृष्ट १ विशेषदृष्ट २॥ (पूर्वपक्ष) सामान्य दृष्टके क्या २ लक्षण हैं ?(उत्तरपक्षा) जैसे किसीने एक पुरुषको देखा तो उसने अनुमान कियाकि अन्य पुरुष भी इसी प्रकारके होते हैं तथा जैसे किसीने पूर्वीय पुरुषके कृष्ण वर्णको देखकर अनुमान किया अन्य भी पूर्वीय प्रायः इसी वर्णके होंगे। इसी प्रकार युरोपमें गौर वर्णताका अनुमान करना। ऐसे ही सुवर्ण मुद्रादिका विचार करना क्योंकि जैसे एक मुद्रा होती है प्रायः अन्यभी उसी प्रकारकी होंगी, इस अनुमानका नाम सामान्य दृष्ट है ।। प्रायः शब्द इस लिये ग्रहण है कि आकृतिमें कुछ भिन्नता हो परंतु वास्तवमें भिन्नता न होवे, उसका नाम सामान्य दृष्ट है ।। अव विशेष दृष्टंका लक्षण वर्णन करते हैं ॥ .