Book Title: Jain Siddhanta
Author(s): Atmaram Upadhyaya
Publisher: Jain Sabha Lahor Punjab

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Page 195
________________ ( १८७ ) I गया तो देश आर्यका मिलना अतीव कठिन है क्योंकि बहुत से देश ऐसे भी पड़े हैं जिन्होंने कभी श्रुत चारित्र रूप धर्मका नाम ही नही सुना । यदि आर्य देश भी मिल गया तो आर्य कुलंका मिलना महान् कठिन है क्योंकि आर्य देशमें भी बहुतसे ऐसे कुळ हैं जिनमें पशुबध होता है और मांसादि भक्षण कर-ते हैं । यदि आर्य कुल भी मिल गया तो दीर्घायुका मिलना परम दुष्कर है क्योंकि स्वल्प आयुमें धार्मिक कार्य क्या हो सक्ते. ? भला यदि दीर्घायुकी प्राप्ति हो गई तो पंचिंद्रिय पूर्ण मिलनी अतीव ही कठिन हैं क्योंकि चक्षुरादिके रहित होनेपर दयाका पूर्ण फल जीव प्राप्त नही कर सक्ते । भला यदि इन्द्रिय पूर्ण हों तो शरीरका नीरोग होना बड़ा ही कठिन है क्योंकि व्याधियुक्त. ta धर्मकी बात ही नही सुन सक्ता । सो यदि शरीर भी नीरोग मिल गया तो सुपुरुषोंका संग होना महान् ही दुष्कर हैं क्योंकि कुसंग होना स्वाभाविक वात है । भला यदि सुजनोंका संग भी मिल गया तो सूत्रका श्रवण करना महान् कठिन है ।भला सूत्रको श्रवण भी कर लिया तो उसके उपरि श्रद्धानका होना अतीव दुष्कर है। भला यदि श्रद्धान भी ठीक प्राप्त हो गया तो धर्मका पालन करना परम कठिन है क्योंकि धर्मकी क्रिया: आशावान् पुरुषोंसे नही पल सक्ती किन्तु धर्म अनार्थीका नाथ

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