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टेक होनेपर ही यह लक्षण हो सक्ते हैं सो इसका नाम भूत अनुमान प्रमाण है क्योंकि इसके द्वारा भूत पदार्थोंका वोध भली प्रकारसे हो जाता है ॥
मूल ॥ सेकिंत्तं पप्पा कालग्गहणं २ साहु गोयरग्गगयं वितुमिय पर भत्तपाणं पासित्ता ते साहितइ जहा सुनिक्खं वट्टर सेतं पकुप्पन्न कालग्गदां ॥
भाषार्थ:- ( प्रश्न ) किस प्रकार से वर्तमान कालके पदांथका अनुमान प्रमाणके द्वारा बोध होता है ? ( उत्तर ) जैसे कोई साधु गौचरी ( भिक्षा) के वास्ते घरोंमें गया तब साधुने घरोंमें प्रचुर अन्नपानीको देखा अपितु इतना ही किन्तु अन्नादि बहुतसा परिष्टापना करते हुओंको अवलोकन किया तब साधु अनुमान प्रमाणके आश्रय होकर कहने लगा कि जहां पर सुभिक्ष ( सुकाळ ) वर्तता है, सो यह वर्तमानके पदार्थोंका बोध करानेवाला है - अनुमान प्रमाण है ||
मूल ॥ सेकिंतं णागय कालग्गहणं २ - नस्स निम्मलतं कसिणाय गिरिस विज्जु मेदा