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जैन जगतो SONGSRRIOR
ॐ अतीत खएड ®
पर्दा प्रथा उस काल की हमको दिलाती याद है। वे मस्तकों में घूम जाते कौंध कर अवसाद हैं। राजत्व उनका अब नहीं है, याद उनकी रह गई। यह याद मुस्लिम हिन्दुओं में प्राण-ग्राहक बन गई ॥ ३८४॥ ये मूर्तिये खण्डित यवन-व्यवहार हैं बतला रहीं; भूगर्भ में सोयी हुई कितनी उन्हें हैं जप रहीं। मंदिर हमारे अश्वथल, मस्जिद मकबरे हो गये; हैं चिह्न जिनक आज भी बहु मंदिरों में रह गये ।। ३८५।। अनगण्य अन्याचार हैं, जिनका न कुछ भी पार है: सब को यहाँ उद्धृत करें ऐसा न मुख्य विचार है। सम्राट अकबर ३३५ को हमें सम्राट गिनना चाहिए; उसके सदय व्यवहार का गुणगान करना चाहिये ।। ३८६ ॥ सम्राट बस औरंग334 के ओ ! रंग भी नव रंग थे; उस्ताद, काजो, मौलवी उसके सदा ही संग थे। लाचार होकर फिर हमें जजिया उसे देना पड़ा; जब आ पड़ी थी धर्म पर करना हमें रण भी पड़ा ॥ ३८७ ।।
बृटिश शासनअब है बृटिश साम्राज्य, पर वैसे न इसके दाव हैं; बहु-बेटियों पर यवन से करते नहीं ये घाव हैं। ये बोलकर मीठे वचन देते तुम्हें मिष्ठान हैं; अब लूट वैसी है नहीं मेरा यही अनुमान है ।। ३८८ ॥