Book Title: Jain Jagti
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Shanti Gruh Dhamaniya

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Page 255
________________ ● जैन जगती ● परिशिष्ट ● 'कला की दृष्टि से अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। दूसरी इसी गिरि में एक हाथी - गुफा भी है। यह गुफा प्राकृतिक है। डा० फर्ग्युसन लिखता है कि उदयगिरि की गुफाओं की भव्यता, शिल्प की 'लाक्षणिकता, और स्थापत्य की विगत ये सब इनकी प्राचीनता प्रमाणित करती हैं। देखो उ० हि० माँ० जैन धर्म पृष्ठ २२३ | ये गुफायें कलिंगपति सम्राट खारवेल की बनवायी हुई हैं । इसमें ४४ गुफाये हैं । २२० - खण्डगिरि - उदयगिरि की गुफाओं के पच्छिम में खण्डगिरि की १६ गुफायें हैं। ये भी सम्राट खारवेल की ही बनवायो दुई हैं । शिल्प की दृष्टि से इनका स्थान भी बहुत ऊँचा है । प्रसिद्ध पुरातत्त्वज्ञ एवं शिल्प विशारद श्रामोली, मनमोहन, चक्रवर्त्ती, ब्लोच, फरग्यूसन, स्मिथ, कुमार स्वामी आदि इन्हें जैन गुफा स्वीकार करते हैं। देखो उ० हि० मां० जैन धर्म पृष्ठ २२२ । २२१ -- एलोर- अजंता गुफायें - अब तक सब इतिहासकार इन गुफाओं को बौद्ध गुफायें एक स्वर से बताते आये हैं, लेकिन अत्र ज्यों-ज्यों पुरातत्त्व वैज्ञानिक शोध करते जाते हैं उन्हें अत्र अपने प्राक्कथन में भ्रम होता है और कतिपय शिल्प-विशारद तो यह भी मानने लग गये हैं कि ये गुरुायें भी जैन गुफायें हैं । २२२ - मथुरा- वर्तमान मथुरा नगर से ३-४ मील के अन्तर पर अभी कंकाली-टीला का पता लगा है और उसकी खुदाई भी हुई है। इस टोले में से ई० सन के पूर्व को जैन-मूर्तियें, आयागपट्ट, स्तूपखड निकले हैं । महाक्षत्रपों के राज्य में मथुय २३४

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