Book Title: Jain Jagti
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Shanti Gruh Dhamaniya

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Page 274
________________ जैन-जगती का शुद्धाशुद्ध पत्र अतीत खण्ड छंद पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ११ वीण बीन बे स्वर, प्राण निःस्वर, रांग १ . ३ डार सार। १ ४ मन' सार दें मम पूर्ण कर वर्तमान खण्ड १९ श्वेताम्बर संगीत ज्ञाता कार आहित मात्र शील वन श्वेतअम्बर संगीत-ज्ञाता कर हित २०७ २२२ २३० ३१८ ४ ४ ३ मातृ श्रील बन

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