Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
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॥ णमोसिद्धाणं ॥ नमस्कार घावो सिद्ध भगवंतने । ते सिद्ध भगवंतकहवा छै। आठ गुणे करी सहित छै ते कहै छै। केवल ग्यान १ केवल दर्शग २ आत्मी क सुख ३ क्षायक समकित ४ अटल अवगाहणा ५ प्रमुत्तिभाव ६ अग्रलघुभाव ७ अन्तराय रहित ८
॥ णमो आयरियाणं ॥ नमस्कार थावो आचार्य महाराजने । ते आचार्य महाराज केहवा छै। ३६ षट वीस गुगणे करी सहित ? ते कहै छै । आरजदेश ना उपनां १ मारज कुल ना उपना २ जातवंत ३ रुपवंत ४ थिर संघयेगा ५ धीरजवंत ६ आलोवणां दूसग पासे कहै नहौं ७ पोतेग गुग पोते वर्गान न करे ८ कपटी न होवे शब्दादिक पांच इन्द्री जीते १० गग हेप रहित होवे ११ देश ना जाग होवे १० काल नां जागा होवे १३ तीक्षगा बुद्धि होवे १४ घगां देशांरी भाषा जाने १५ पांच आचार सहित १६ सूत्रांरा जाण होवे १७ अर्थरा जाण होवे १८ सूत्र अर्थ दोनों ग जागा होवे १६. कपटकरी पूछ तो कुलाव नहीं २० हेतुना जाग होवे २१ कारगारा