Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
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(१५२ ) सूत्र से तौजे ठागों में कयो छै अल्प आयुबंधै असल्यागाकारी कर्म बंधे तथा असूजतो दोधोते
व्रत से नहीं। पाप कर्म बंधै छ। १३ अरिहंत देव देवता के मनुष्य-मनुष्य है। १४ माधु देवता के मनुष्य-मनुष्य छ । १५ टवता साधुनौं बंछा करै के नहीं करै-करै
माधु तो सवका पूजनीक छ। १६ साधु देवताको बंछा करके नहीं करै-नहीं करै। १७ मिद्ध भगवान देवता के मनुष्य-दोनं नहीं। १८ सिङ्घ अगवान सूक्ष्म के वादर-दोन नहौं । १६ सिद्ध भगवान त्रसके स्थावर--दोनं नहीं। २० मिद्ध भगवात सन्नी के असन्नौ-दोन नहौं । २१ सिद्ध भगवान पर्याप्ता के अपर्याप्ता---दोन नहौं ।
॥ इति पानाकी बरचा ॥