Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner

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Page 241
________________ ( २३१ ) नित्य कीजे नमस्कारहो लाल ॥२५॥ मु० साझ घणा संता भणोरे, तें दौधो अधिक उदारही लाल गण बछल गण बाल हाई समरे तौरथ च्यारहो लाल ॥२६॥ मु० सुखदाइ सहु अग भगोरे, कर्म काटण ने शूरही लाल तन मन रंज्यो भाप रे तुं मुझ आशा पूरहो लाल ॥ २७ ॥ म. हेम ऋषि दूण रौतसूरे लोधी जनम नो लाहहो लाल हेम तणा गुण देखनेरे गुणीजन कहै वाह २ हो लाल ॥ २८॥ म. चर्म चौमासो आमेटमें है आप कियो उचरङ्गहो लाल ध्यान सुधारस ध्यावतार सखरी भांत सुरङ्गहो लाल ॥२६॥ मु. सातमी ढाल विष कह्यारे हेसतणा गुण सारहो लाल हम गुणारी पोरसोर याद कर नरनारहो लाल ॥३०॥

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