Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
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( १८७ ) जोत में रे लाल, कडू कांग नाम छै भगवान रे, सु. नाम निक्षेपारी निर्णय करी रे लाल ॥ १ ॥ जे गुण बिना नाम माने तेहनार लाल, सगला नाम भगवान बंदनीक रे सु० तिणने पूछौजे सगलौ न्यातने रे लाल, करणी नाम भगवान रौ ठीक रे, सु० ना० ॥ २ ॥ पछै गुगा बिना नाम भगवानरा रे लाल, जो उन बांदे सगला पाय रे, सु० ता उण श्रद्धा थापौ ते उथप गई रे लाल, ते पिण गहिला ने खबर न काय रे, सु० ना० ॥ ३॥ कई जोगी संन्यास्यांरा नाम छै रे लाल, सिद्धगिरी ने सिद्धनाथ रे, सु० जे गुण बिना नाम माने तिके रे लाल, तिण सिद्ध ने क्यों न बांदे जोड़ी हाथ रे, सु० ना० ॥ ४ ॥ कई करिं मिनखां रे कारटीया रे लाल, ते पिण बाजे आचारज लोकार मांहि रे सु. जे गुण बिन नाम माने तिके रे लाल, क्यूं न बांद तिण आचारज रा पाय रे सु० ना० ॥५॥ कड़क ब्राह्मण लोक में रे लाल, त्यांरी जातां बाजे उपाध्याय रे सु० जे गुण बिना नाम माने तिके रे लाल, क्यूं न बांद उपाध्याय रा पाय रे सु० ना० ॥६॥ कई साध बाजे भगति ढिया रे लाल, ते निगुणा छै रहित समाध रे सु० ते गुण बिना नाम माने तिक रे लाल, क्यूं न बांदे एहवा साध र सु. ना० ॥ ७॥