Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner

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Page 199
________________ ( १६१ ) गिग न लेगी असन्नी र लाल, उण रो श्रद्धा सामो जोय र े मु० असन्नी ने मा जूदो गुणे र े लाल, तिग 'नाम निक्षेपो दिया खाय रे सु० ना० ॥ २६ ॥ किण रे बाप रो नाम धनरूप है रे लाल, त्यारे मांही मांहि हेत मिलाप रे मु० जे गुण बिनां माने नहीं र लाल, सगला है धनरूमा बाम र सु० ना० ॥३०॥ सगला धनरूपा नाम तेहने रे लाल, संकतो लेखवे नहीं बाप र े सु० श्री धनरूप स्यूं दुजागी कर र लाल, तिग नाम निच पो ताहि दियो उथाप रे सु० | ० ॥ ३१ ॥ बहन बहनोई काका बाबादिके रे लाल, यांरा नाम है नाम अनेक रे सु० त्यांरा नाम प्रमाणें नहीं लेखवे रे लाल, तो छोड़ देगी कूड़ी टेक ना० 1 रे सु० ना० ॥ ३२ ॥ गुण और नाम और है रे लाल, ते कहि बावत लावण काम र सु० कोई भूलो मत भूलज्यो र े लाल, सुग सुग एहवा नोम रे सु० ना० ॥ ३३ ॥ शेईक नाम कहिवां ने दिया रे लाल, कोईक गुण निपन्न के नाम रे सु० ते कहिवा ना नाम कहवा भगो र लाल, गुण निपन आवे काम रे सु० ना० ॥ ३४ ॥ इम कहिने कितरो कहूँ रे लाल, नाम निक्षेपारो बिस्तार रे मु० जो गुण बिना नाम बांदे नहीं रे लाल, तिग सफल किया अवतार र सु० ना० ॥ ३५ ॥

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