Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
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( १३५ ) मोक्ष, ए पांच तो जीव छै; अने अजीव, पुन्य, । पाप, बंध, ए च्यार पदार्थ अजीव छ । । २ नव पदार्थ से साबा कितना निरवद्य कितना
जौव अने प्रास्त्रव ए दोय तो सावद्य निरवद्य दोन छ, अजीव, पुन्य पाप, बंध, ए सावध निरवद्य दोन नहौं। संबर, निर्जरा, मोक्ष, ए
तीन पदार्थ निश्वद्य छै। ३ नव पदार्थ में आज्ञा मांहि कितना आज्ञा बाहिर कितना जीव, आसव, ए दोय तो आता मांहि पण छै, अने आजा बाहिर पण छै। अजीव, पुन्य, पाप, बंध, ए च्यार थाज्ञा मांहि बाहिर दोनं ही नहीं। संबर, निर्जरा मोक्ष, ए आज्ञा
मांहि । ४ नव पदार्थ में चोर कितना साहकार कितना
जौव, आस्रव, तो चोर साहकार दोन ही छै। अजीव, पुन्य, पाप, बंध ए चोर साहूकार दोन नहीं; संबर, निर्जरा, मोक्ष, ए तीन साहूकार
५ नव पदार्थ में छांडवा जोग कितना आदरवा
जोग कितना जौव, अजौव, पुन्य, पाप, आस्रव, बंध, ए छव तो छांडवा जोरा छै; संबर, निर्जरा,