Book Title: Jain Hit Shiksha Part 01
Author(s): Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publisher: Kumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
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( १२७ ) ४ ब्रत छवमें कोण नवमें कोण छवमें जौव नवमें
जौव संबर । ५ अब्रत छवमें कोण नवमें कोण छवमें जीव नवमें
जीव प्रास्त्रव। ६ अठारे पापको बहरमण छवमें कोण नवमें काग ___ छव में जोव नवमें जौव संबर । ७ पञ्च महाब्रत छवमें कोण नवमें कोण छवमें
जीव, नवमें जौव संबर । ८ पांच चारित्र छवमें कोण नवमें कोण छवमें
जीव, नवमें जीव, संबर। ___ पांच सुमतौ छवमें कोण नवमें कोण छव में जीव,
नवमं जौव, निर्जरा।। _१० तीन गुप्ती छवमें कोण नवमें कोण छवमें जीव
नवमें जीव, संबर। ११ बारे ब्रत छवमें कोण नवमें कोण छवमें जीव
नवमें जीव, संबर। १२ धर्म छवमें कोण नवमें कोण छवमें जीव, नवमें
जीव,-संबर, निर्जरा। १३ अधर्म छवमें कोण नवमें कोण छवमें जीव, ' नवमें जीव, आस्रव । १४ दया छवमें कोण नवमें कोण छवी जीव.