________________
[ १० ] यह सत्य है कि जैन महिला वर्ग का सम्पूर्ण ऐतिहासिक विवेचन करना एक दुष्कर कार्य है, क्योंकि अनासक्त आत्म-प्रशंसा तथा प्रशस्ति से दूर, महान् पवित्र त्यागमय जीवन को लक्ष्य बनानेवाली इन महिलाओं के सम्बन्ध ऐतिहासिक साक्ष्य और उल्लेख अल्पतम हैं। फिर भी गुरुजनों एवं सहयोगियों के मार्गदर्शन से एक प्रयास करने साहस किया है। मेरी सफलता का मूल्यांकन तो पाठकगण को ही करना है। कृतज्ञता ज्ञापन :
जैन धर्म के प्रति मेरी जिज्ञासा एवं श्रद्धा प्रारम्भ से ही रही है । इसी जिज्ञासा के कारण जैन धर्म की साध्वी तथा श्राविकाओं के सम्बन्ध में कुछ शोध कार्य करने की प्रेरणा सर्व प्रथम मुझे दिल्ली में डॉ० सुरेन नवलखा ( इंस्टिट्यट आफ इकोनामिक ग्रोथ, दिल्ली विश्वविद्यालय ) से प्राप्त हुई । डॉ० नवलखा से केवल मार्गदर्शन ही प्राप्त नहीं हुआ, वरन् . साध्वियों से साक्षात्कार के लिए प्रश्नावली तैयार करने में भी पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। मैं उनके प्रति हृदय से कृतज्ञता प्रदर्शित करती हूँ।
पूज्य गुरुजनों एवं साध्वी समुदाय ने भी मुझे यह कार्य करने की प्रेरणा प्रदान की । आदरणीया साध्वी सुमति कुँवरजी ने इस कार्य में मुझे सतत् उत्साहित किया तथा सामग्री प्राप्त करने में सहयोग प्रदान किया । माननीय श्री सौभाग्यमलजी जैन (शुजालपुर ), भूतपूर्व मंत्री, मध्य प्रदेश ने मेरे द्वारा लिखे गये अध्यायों को पढ़कर मार्गदर्शन दिया। श्रीमान् अगरचन्दजी नाहटा ने विदुषी महिलाओं की कृतियों को उपलब्ध कराने में मुझे सहयोग दिया, अतः मैं इन सभी की भी आभारी हूँ।
आदरणीय पं० दलसुखजी भाई मालवणिया पूर्व संचालक ला. द. विद्या संस्कृति मंदिर, अहमदाबाद तथा डॉ० मोहनलालजी मेहता, पूर्व निदेशक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी की भी मैं आभारी हूँ जिन्होंने मुझे सन्दर्भ पुस्तकें प्राप्त करने में सहयोग दिया, साथ ही विषय के प्रतिपादन में मार्गदर्शन दिया । ____ डॉ० कैलाशचन्द्रजी जैन (प्रोफेर, इतिहास विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ) ने भी समय-समय पर जैन महिलाओं के सम्बन्ध में सूचनाएँ देकर मेरा मार्गदर्शन किया। यह मेरा परम सौभाग्य है कि मुझे आदरणीय श्री बी० एन० लुनियाजी (प्राचार्य, शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, इन्दौर, म. प्र.) के निर्देशन में शोध कार्य करने का सुअवसर प्राप्त हुआ । आपकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से ही मैं यह शोध
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org