Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 18
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 38
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१८/३६ मित्र । कम्पनी सरकार से हमारी गहरी संवेदना है और हमारे राज्य में उनकी हत्या होने के कारण मैं क्षमा प्रार्थी भी हूँ। ___ एजेन्ट - आपका बाट बील्कुल ठीक हय, अमारा कम्पनी सरकार कप्तान स्मिथ के मर्डर से बहोट दुखी हय। और उसको बहोट जाडा मिस करटा हय। जयपुर स्टेट में इस कडर बडअमनी देखकर कम्पनी छावनी का बोर्ड ने यह टय किया हय कि जब टक गवर्नर जनरल का मुकम्मिल आर्डर नेई मिलटा; टव टक जयपुर शहर पर छावनी का टेम्परेरी कब्जा रहेगा। झूथाराम (रोष से)- यह सर्वथा असंभव है। जयपुर में किसी प्रकार की बदअमनी नहीं है। आज तीन दिन हो गये, कहीं भी अशान्ति नहीं फैली, न ही किसी दंगे वगैरह की खबर मिली। स्मिथ साहब की हत्या का तो हमें भी रंज है परन्तु उनकी हत्या की ओट लेकर, हमारे राज्य पर अधिकार जमाने का उपक्रम सफल नहीं हो सकता। किसी एक पागल अपराधी के दुष्कृत्य को संपूर्ण राज्य के षडयन्त्र की संज्ञा नहीं दी जा सकती। एजेन्ट - (शान्ति से) ठीक हय, ठीक हय ! अम टुमारा ख्याल का कडर करता हय, पर इटना बरा आफीसर का खून होना मामूली नहीं हय डीवान साहब ! इसमें बरा ग्रुप होना चाहिए। मर्डर करके राज्य भर की काँसप्रेसी (षडयन्त्र) को पागलपन में वहलाया नेई जा सकटा। किडर हय वो पागल मुजरिम । अमारे सामने बुलाओ, अम उससे पूछेगा। पूरे ग्रुप का पटा लगायगा (व्यंम से मुस्कारते हुए) टव डूध का डूध और पानी का पानी हो जाएगा। जगतसिंह – मुजरिम की उसी दिन से सरगर्मी के साथ खोज हो रही है। मिलते ही मैं उसे आपके हवाले कर दूंगा। एजेन्ट - अच्छा ठीक हय, पर जब टक मुजरिम नेई मिलटा, टव टक बोर्ड का आर्डर मानना होगा। अमरचन्द – (उदासी से धीमे स्वर में) बोर्ड का आर्डर कहाँ है ? एजेन्ट - (साथी से कागज का मुठिया लेकर देते हुए शान से) ये हय आर्डर। (दीवान अमरचन्दजी पढ़कर सुनाते हैं)

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