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जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
6. शशांकासन - .. शशांक का तात्पर्य खरगोश से है, जो अत्यन्त कोमल एवं शांत प्राणी है। शरीर की आकृति शशांक जैसी होने से इसे शशांकासन कहा गया है। इसका दूसरा नाम चन्द्रमा भी है। यह आसन चन्द्रमा की तरह शीतलता प्रदान करता है, आवेश का उपशमन करता है।
विधि - वज्रासन में पंजों पर ठहरें। हाथों को घुटनों पर रखें। पूरक करते हुए हाथों को आकाश की ओर उठाएं, रेचन करते हुए हाथ एवं ललाट को भूमि पर स्पर्श करें। पूरक करते हुए उठे। पुनः, रेचन कर भूमि को स्पर्श करें। लम्बे समय तक शशांकासन में रुकना हो, तो श्वास की गति सहज और गहरी रहेगी। समय - एक मिनट से तीन मिनट। लाभ - तीव्र रक्तचाप सामान्य बनता है। क्रोध के उपशमन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मानसिक-शांति के लिए उपयोगी है। 7. ब्रह्मचर्यासन - पहला प्रकार -
दोनों पैरों को फैलाकर बैठें, घटनों को मोड़ें। पादतल को एक दूसरे से मिलाएं, घुटनों पर हाथ रखें, भूमि पर घुटने लगाने में कठिनाई महसूस हो रही हो, तो धीरे-धीरे नीचे ले जाएं, ऊपर उठाएं। यह क्रिया पद्मासन की सिद्धि एवं लम्बे समय तक ध्यान के अभ्यास के लिए उपयोगी है।
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