Book Title: International Jain Conference 1985 3rd Conference
Author(s): Satish Jain, Kamalchand Sogani
Publisher: Ahimsa International
View full book text
________________
श्री सुभद्र मुनि जी महाराज
जैन स्थानक त्रिनगर, दिल्ली-११००३५ जनवरी २६, १९८५
तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय जैन कान्फ्र स के अवसर पर
मेरी कामना
सत्य और प्रेम की शाक्ति को भगवान महावीर ने विश्व के सम्मुख प्रस्तुत किया था। उनके अनुगामी आज भी विश्व को यही बता रहे हैं कि इससे बड़ी और बात नहीं है, परन्तु संसार की समझ में यह नहीं आ पा रहा है। असत्य मोर द्वष पर मानव का विश्वास दिन प्रति दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता है इस अज्ञान के अन्धेरे को मिटा देने की।
मैं तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय जैन कान्फ्रेंस की सफलता की कामना करता हूं।
सुभद्र मुनि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org