Book Title: International Jain Conference 1985 3rd Conference
Author(s): Satish Jain, Kamalchand Sogani
Publisher: Ahimsa International
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विद्या प्राप्ति मन्त्र:
- "ॐ णमो चउदस पुव्वीणं झीँ झीँ नमः स्वाहा ।" विधि :- इस मंत्र का विधि पूर्वक 21 लाख जाप करने के पश्चात् नित्य प्रातः सायं एक-एक माला गिनने से अद्भुत विद्या की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार अन्य सम्प्रदायों के मन्त्र-शास्त्रों की तरह जैन मन्त्र-शास्त्रों की भी एक विशाल परम्परा है। आज के इस वैज्ञानिक युग में लोग इस महत्वपूर्ण परम्परा को केवल अन्धविश्वास मात्र बताकर इसकी उपेक्षा करते हैं। किन्तु यदि इस विद्या का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए एवं तथ्यों का विश्लेषण किया जाए तो निश्चित ही मानव जीवन की उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाकर पृथ्वी पर ही स्वर्ग बनाने की क्षमता प्राप्त की जा सकती है। किन्तु कब ? जिस प्रकार भौतिकविज्ञान के प्राचार्यों ने शब्द-विज्ञान के रहस्यों को प्रगट कर नई आस्थाएं बनाई हैं, उसी तरह मंत्रसाधकों का भी कर्तव्य हो जाता है कि वे मंत्रों के लोक-कल्याणकारी स्वरूप को समाजोत्थान में प्रयुक्त करें तथा लुप्त प्रायः विधि-विधानों की शोध एवं उनके विकसित करने का प्रयत्न करें, ताकि इस वैज्ञानिक युग में मन्त्र-शक्ति पर डूबते हुए विश्वास को पुनः उभारा जा सके ।
ॐ शान्ति शान्ति शान्ति...........
रिसर्च स्कॉलर दर्शन विभाग सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.)
यह अहिंसा भयभीत प्राणियों के लिए शरणभूत है, पक्षियों के लिए आकाश में गमन-उड़ने के समान है । यह अहिंसा प्यास से पीड़ित प्राणियों के लिए जल के समान है, भूखों के लिए भोजन के समान है, समुद्र के मध्य डूबते हुए जीवों के लिए जहाज के समान है, दुःखों से पीड़ित जनों के लिए प्रौषध बल के समान है, और भयानक जंगल में संघ के साथ गमन करने के समान है।
(प्रश्नव्याकरण सूत्र, 108)
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