Book Title: Indian Antiquary Vol 06
Author(s): Jas Burgess
Publisher: Swati Publications
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JULY, 1877.]
GRANTS OF THE AŅHILVÅD CHAULUKYAS.
205
No. 8.1
Plate I. (1) ९॥ स्वस्ति
राजावलीपूर्ववत्समस्तराजावलीसमलंकृतमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरम(१) भट्टारकचौलुक्य कुलकमलविकासनकमातंडश्रीमूलराजदेवपादानुध्यातमहाराजाधि(२) राजपरमेश्वरपरमभट्टारकश्रीचामुंडराजदेवपादानुध्यातमहाराजाधिराजपरमेश्व(') रपरमभट्टारकश्रीवलभराजदेवपादानुध्यातमहाराजाधिराजश्रीदुर्लभराजदेवपा(') दानुध्यातमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरमभट्टारकश्रीभीमदेवपादानुध्यातपरमेश्व(१) रपरमभट्टारकमहाराजाधिराजत्रैलोक्यमलश्रीकर्णदेवपादानुध्यातपरमेश्वरपर(') मभट्टारकमहाराजाधिराजवंतीनाथत्रिभुवनगंडवर्वरकजिष्णु सिद्धचक्रवर्तिश्री. (१) जयसिंहदेवपादानुध्यातमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरमभट्टारकउमा]प[ति]वर(१) लब्धप्रसादप्राप्तराज्यप्रौढप्रतापलक्ष्मीस्वयंवरस्वभुजविक्रमरणांगण विनिर्जितशा(१) कंभरीभूपालश्रीकुमारपालदेवपादानुध्यातमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरमभट्टा(") रकपरमाहेश्वरप्रबलबाहुदंडदर्परूपकंदर्पहेलाकरदीकृतसपादलक्षक्ष्मा(१) पालश्रीअजयपालदेवपादानुध्यातपरमेश्वरपरमभट्टारकमहाराजाधिराजम्ले(३) च्छतमोनिचयच्छन्नमहीवलयप्रद्योतनबालार्क
आहवपराभूतदुर्जयगर्जनकाधि(१) राजश्रीमूलराजदेवपादानुध्यातमहाराजाधिराजपरमेश्वरपरमभट्टारकाभिनव(1) सिद्धराजसप्तमचक्रवर्तिश्रीमद्धीमदेवः स्वभुष्वमानवर्द्धिपथकांतःपातिनः समस्तरा(1) जपुरुषान् ब्राह्मणोत्तरांस्लनियुक्ताधिकारिणो जनपदांश्च बोधयत्यस्तु वः संविदितं (") यथा ॥ [श्रीमत्] विक्रमादित्योत्पादितसंवत्सरशतेषु द्वादशसु . पंचनवत्युत्तरेषु मा(६) गर्गमासीयशुक्लचतुर्दश्यां गुरुवारेऽत्रांकतोऽपि संवत् १२९५ वर्षे मार्गे शुदि १४ गु(") रावस्यां संवत्सरमासपक्षवारपूर्विकायां तिथावोह श्रीमदणहिलपाटके स्ना(१०) वा चराचरगुरुं भगवंतं भवानीपतिमभ्यय॑ संसारासारतां विचित्य नलिनीदल(१) गतजललवतरलतरं प्राणितव्यमाकलिन्य ऐहिकामुष्मिकं च फल]मंगीकृ-।। (2) स्य पित्रोरात्मनश्च पुण्ययशोभिवृद्धये भोजुयाग्रामस्छाने संजातस[लखण]पुरं स्व(१) सीमापर्यंत सवृक्षमालाकुलकाष्टतृणोदकोपेतं सहिरण्यभागभोगं सदंडद(११) शापराधसादायसमेतं नवनिधानसहितं पूर्वप्रदत्तदेवदायब्रह्मदायव ॥ (5) उर्ज तथा घुसडीयामे गोहिणसरसन्निधौ पलडिका --ण ईशानको(११) महाराज्ञीश्रीसूमलदेव्या [य]
Plate II. (') णे भूमिहलद्वयेन संजातवाटिका १ एवमे ---- सोलूं० राणा । लूणप(') सासुतराण. वीरमेन घुसडीयामे कारितश्रीवीरमेश्वरदेव तथा श्रीसूमलेश्व(१) रदेवयोनित्यं नैवेद्यांगभोगपंचोपचारपूजार्थ मठाधिपतिराजकुलश्रीवेदगर्भ(') राश[ये शासनोदकपूर्वमस्माभिः प्रदत्तं ॥ पुरस्यास्याघाटा यथा ॥ पूर्वस्यां नीलछीना(') मसीमायां सीमा । दक्षिणस्यां घूसडीग्रामसीमायां सीमा ।। पश्चिमायां कालीयाणाया(१) मडुचाणायामयोः सीमायां सीमा ॥ उत्तरस्यां त्रिहटियामकुषलोडयामयोः सीमा1 Dimensions ily inches by 14 inches. Characters | ज्यमान . L. 1, माकलथ्य. L. 28, read कुलं; काष्टी Jaina-Devanagari. Preservation, slightly damaged.
L. 94, read 5L. 11, read परममाहेश्वररूप. L. 16, rend स्वभु- L.2, read वीरमेण.
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