________________
www.kobatirth.org
( १७० ) ॥ ढाल || चोपाईनी देशी ॥ ॥ सुपरें बुद्धि वाधे नर शिरें, महिला मंत्रएं जे नवि करे ॥ नरनुं काम करे ज्यां नार, तेहनुं घर विणसे संसार ॥ १ ॥ धारानगर जिहां अन्याय त्याज्य, राजा जोज करे त्यां राज्य | तिहां एक सा त भूमि यावास, व्यंतरदेव अधिष्ठे तास ॥ २ ॥ रहे वा यावे मंदिर कोय, व्यंतर देवता पूढे सोय ॥ चार बोलनो करे जबाप, ते इस मंदिर रहेशे आप ॥ ३॥ शारद कुटुंब व्युं तिहां सही, राजाने पूयं गह गही ॥ कहो तो वियें नगरीमांहिं, दूध कचोलुं पाठव्युं त्यांहिं ॥ ४ ॥ दूध कचोलुं जिम ए जयुं, तेम नगरी माणस तरवयुं ॥ नगर कचोलामांदे नहिं गम, कहां वी लेश्यो विशराम ॥५॥ शा रद कुटुंब त्यां बोले इस्युं, जोज सरिखो चूके किस्युं ॥ सहु मानव सरिखा नवि होय, अंतर कीधा कमैं जोय ॥ ६ ॥ पथर पथरमांहि अंतर कस्यो, एक र हे केसर पुष्पें जो ॥ एक उपर मूके सहु पाय, वागे वेश तो चढे कषाय ॥ ७ ॥ करी करी मांहे अंतर कियो, एक गर्दजनी परें लादियो । एकने सो वन घूघरा फूल, करे आरति पूजे फूल ॥ ॥ श्वान
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only